इंदौर देश का पहला शहर है, जहां मेट्रो का पहला फेज रिंग मॉडल पर तैयार हुआ है। इस 31 किलोमीटर के रूट में यात्री किसी भी स्टेशन से सफर शुरू कर पूरे सर्किट को घूमकर उसी जगह वापस पहुंच सकते हैं। भोपाल में जहां मेट्रो एक्स-पैटर्न में तैयार हो रही है, वहीं दिल्ली में रिंग मॉडल बाद में लागू किया गया था।
इंदौर में गांधी नगर से रेडिसन चौराहे तक मेट्रो को अक्टूबर 2025 तक शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही अब अंडरग्राउंड मेट्रो के निर्माण का कार्य भी प्रारंभ होने जा रहा है। शहर की भविष्य की जरूरतों को देखते हुए मेट्रो को इंदौर की “लाइफलाइन” बताया जा रहा है। यह मेट्रो 16 मीटर गहरी सुरंग से गुजरेगी और कान्ह नदी के नीचे भी इसका मार्ग बनेगा, जिससे सतह पर बनी इमारतों को कोई नुकसान नहीं होगा।
रीगल चौराहे पर बनने वाला अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन राजधानी दिल्ली के राजीव चौक की तर्ज पर बनाया जाएगा। इस स्टेशन को एयरपोर्ट से सबवे के जरिए जोड़ा जाएगा और भविष्य में बनने वाले मेट्रो रूट्स को भी इससे जोड़ा जाएगा, जिससे शहर के किसी भी कोने तक सीधी पहुंच मिल सकेगी।
मेट्रो निर्माण की खास बातें:
- गांधी नगर क्षेत्र में खाली जमीन की उपलब्धता के कारण वहां मेट्रो डिपो बनाया गया।
- सुपर कॉरिडोर क्षेत्र में सबसे पहले वायडक्ट तैयार कर मेट्रो चलाई गई।
- इंदौर में मेट्रो का प्लान चीन के बीजिंग और शंघाई जैसे शहरों के मॉडल पर आधारित है।
- अंडरग्राउंड मेट्रो के निर्माण में एलिवेटेड की तुलना में 25% ज्यादा समय और लागत आती है।
- कान्ह नदी के नीचे से मेट्रो सुरंग निकाली जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे कोलकाता की हुगली नदी और पुणे में किया गया।
सुरक्षा और संरचना पर अधिकारियों का स्पष्टीकरण:
- टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) से सुरंग बनाई जाएगी, जिससे जमीन पर मौजूद इमारतों को कोई नुकसान नहीं होगा।
- भूजल स्तर पर भी मेट्रो निर्माण का कोई नकारात्मक असर नहीं देखा गया है।
- मुंबई जैसे शहरों में ऊंची इमारतों के नीचे से भी मेट्रो लाइन निकाली गई है।
सुविधाएं और भविष्य की योजनाएं:
- कई मेट्रो स्टेशनों के पास पार्किंग की सुविधा होगी, और मल्टीलेवल पार्किंग बनाने की योजना भी है।
- मेट्रो के आसपास FAR बढ़ने से संपत्तियों की कीमत में वृद्धि होगी, जिससे निवेशकों को फायदा होगा।
- उज्जैन तक मेट्रो विस्तार के लिए सर्वे पूरा हो चुका है और आने वाले वर्षों में नए रूट्स पर काम शुरू किया जाएगा।
इंदौर मेट्रो न केवल वर्तमान ट्रैफिक समस्याओं का समाधान देगी, बल्कि आने वाले समय में शहर की विकास गति को भी तेज करेगी।
