मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के अभ्यर्थी गुरुवार को भी अपने प्रदर्शन को जारी रखे हुए हैं। कड़ाके की ठंड के बावजूद, बुधवार से शुरू हुआ यह आंदोलन अब 26 घंटे से अधिक समय तक जारी है। अभ्यर्थी इंदौर स्थित एमपीपीएससी कार्यालय के बाहर डटे हुए हैं और उनका कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे आंदोलन जारी रखेंगे। प्रदर्शनकारी छात्र अब आमरण अनशन पर बैठने की तैयारी कर रहे हैं और उनका दावा है कि पूरे प्रदेश के छात्र उनके साथ हैं।
जीतू पटवारी का समर्थन और आरोप
गुरुवार शाम को पीसीसी चीफ जीतू पटवारी भी अभ्यर्थियों से मिलने पहुंचे। उन्होंने एमपीपीएससी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा, “एमपीपीएससी के 100 अंकों के पेपर में 101 अंक आ रहे हैं, यह क्या है? यह धांधली नहीं तो और क्या?” पटवारी ने यह भी कहा कि हर साल लाखों छात्रों की परीक्षा होती है, लेकिन उन्हें केवल 110 पदों के लिए नियुक्ति दी जाती है, जबकि सरकार ढाई लाख पदों का वादा करती है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले मुख्यमंत्री ने केवल भाषण दिए, और हर साल लाखों छात्र ओवरएज हो जाते हैं।
प्रदर्शन में स्पीकर और माइक की अनुमति नहीं
गुरुवार को पुलिस ने छात्रों को स्पीकर और माइक का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी। पुलिस का कहना था कि आयोग में इंटरव्यू चल रहे हैं, इसलिए स्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद, छात्रों ने अपनी आवाज को बुलंद रखने के लिए अन्य तरीकों का सहारा लिया। छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी की और कहा कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
सुंदर कांड पाठ और छात्र-छात्राओं का मनोबल
प्रदर्शनकारी छात्रों ने गुरुवार को हनुमान जी की फोटो स्थापित कर सुंदर कांड का पाठ भी शुरू किया। इस धार्मिक आयोजन के माध्यम से उनका मनोबल और भी मजबूत हो गया है। नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें आयोग की वेबसाइट पर जारी नहीं की जातीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
रजाई, गद्दे और खाना – संघर्ष की रातें
अपने विभिन्न मुद्दों को लेकर बुधवार को सुबह 10 बजे हजारों की संख्या में अभ्यर्थी डीडी पार्क में एकत्रित हुए थे। इसके बाद, वे मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के दफ्तर पहुंचे और वहां विरोध प्रदर्शन शुरू किया। पुलिस ने यहां बैरिकेडिंग कर दी थी, और यूनियन के पदाधिकारियों ने आयोग के अधिकारियों से मिलने और उनकी मांगों का निराकरण करने के लिए लिखित आश्वासन की मांग की। जब ऐसा नहीं हुआ, तो अभ्यर्थी सड़कों पर धरने पर बैठ गए। रातभर की कड़ाके की ठंड में भी उन्होंने अपना धरना जारी रखा। बड़ी संख्या में अभ्यर्थी आयोग कार्यालय के बाहर बैठे रहे। छात्रों ने वहां रजाई और गद्दे भी बिछाए और खाने की व्यवस्था भी वहीं पर की। छात्र अपने घरों से भोजन लेकर आ रहे हैं, ताकि वे इस आंदोलन में एकजुट रह सकें।
प्रदर्शन की मुख्य मांगें
– 2019 में आयोजित मुख्य परीक्षा (Mains) की कॉपियों को दिखाया जाए और मार्कशीट जारी की जाए।
– MPPSC 2025 में राज्य सेवा के 700 और वन सेवा के 100 पदों के साथ नोटिफिकेशन जारी किया जाए।
– 2023 राज्य सेवा मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी किया जाए।
– 87/13 फार्मूला समाप्त किया जाए और सभी परिणाम 100 प्रतिशत पर आधारित किए जाएं।
MPPSC भर्ती प्रक्रिया में सुधार की मांग
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी MPPSC भर्ती प्रक्रिया में कुछ बड़े सुधारों की भी मांग कर रहे हैं:
– प्रारंभिक परीक्षा में UPSC की तरह, एक भी गलत प्रश्न न बनाएं और नेगेटिव मार्किंग लागू की जाए।
– CGPSC की तरह मुख्य परीक्षा की कॉपियों की जांच की जाए।
– इंटरव्यू के अंक कम किए जाएं और बिना कैटेगरी और सरनेम के वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ इंटरव्यू लिया जाए।
यह आंदोलन अब एक बड़ा जनआंदोलन बन चुका है, जिसमें हजारों छात्रों की एकजुटता और संघर्ष दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, वे इस आंदोलन को जारी रखेंगे।