MP संबल योजना में बड़ा घोटाला: करोड़ों की अनियमितता, अपात्रों को मिला लाभ – CAG रिपोर्ट में खुलासा

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भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार की संबल योजना में भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना के तहत गरीब श्रमिकों को दी जाने वाली सहायता राशि में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं। कई पात्र श्रमिकों को योजना से बाहर कर दिया गया, जबकि अपात्र व्यक्तियों और कर्मचारियों के रिश्तेदारों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया।

कैसे हुआ घोटाला? CAG रिपोर्ट के बड़े खुलासे

✅ 67.40 लाख श्रमिक अपात्र घोषित: सत्यापन किए बिना लाखों श्रमिकों को योजना से बाहर कर दिया गया। इनमें से 14.34 लाख श्रमिकों को अपात्र बताने का कोई स्पष्ट कारण भी नहीं दिया गया।

✅ बिना दस्तावेज 2.18 करोड़ लोगों का पंजीकरण: पात्रता की पुष्टि किए बिना योजना में करोड़ों लोगों का नाम जोड़ा गया, जिससे 1.14 करोड़ रुपये का अनियमित भुगतान हुआ।

रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर हुए करोड़ों रुपये:

बड़वानी जिले की सेंधवा और राजपुर पंचायतों में 77.97 लाख रुपये कर्मचारियों के रिश्तेदारों के खातों में जमा किए गए।

राजपुर और सेंधवा जनपद पंचायतों में 1.69 करोड़ रुपये सरकारी खातों से निकालकर अपात्र लोगों के खातों में डाल दिए गए।

अंतिम संस्कार सहायता और अनुग्रह राशि में भी हेरफेर:

मृत्यु के बाद पंजीकरण कर भुगतान: कई ऐसे मामलों में सहायता राशि दी गई, जहां मृत्यु के बाद ही पंजीकरण किया गया था।

दोहरा भुगतान: कुछ मामलों में एक ही व्यक्ति को दो बार भुगतान किया गया।

गलत वर्गीकरण से 1.72 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान: बिना FIR दर्ज किए दुर्घटना मृत्यु के मामलों में सामान्य मृत्यु की जगह 4 लाख रुपये तक की सहायता दी गई।

2.20 करोड़ रुपये पात्र श्रमिकों को नहीं मिले: जबकि वास्तविक जरूरतमंदों को योजना का लाभ नहीं दिया गया।

भ्रष्टाचार पर क्या बोले अधिकारी?

सरकार ने दोषियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की बात कही है, लेकिन अभी तक किसी बड़े कदम की जानकारी नहीं दी गई है। इस खुलासे के बाद जनता में आक्रोश है और प्रशासन पर पारदर्शी जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है।

CAG रिपोर्ट ने संबल योजना में व्याप्त अनियमितताओं को उजागर कर दिया है। गरीबों के कल्याण के लिए चलाई गई इस योजना का फायदा कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों और उनके अपनों को मिला, जबकि हकदार मजदूरों को उनके अधिकार से वंचित कर दिया गया। अब देखना यह है कि सरकार इस घोटाले पर क्या कार्रवाई करती है।

Pooja upadhyay
Author: Pooja upadhyay

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