मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के चार लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी दी है। आठ वर्षों से ठप पड़ी पदोन्नति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कैबिनेट बैठक के बाद वीडियो संदेश के जरिए यह ऐलान किया, जिससे कर्मचारी जगत में उत्साह की लहर दौड़ गई है।
मुख्य बिंदु:
- आठ साल बाद फिर शुरू होगी पदोन्नति प्रक्रिया
- मेरिट और वरिष्ठता के आधार पर होगी पदोन्नति
- सुप्रीम कोर्ट में लंबित आरक्षण विवाद को देखते हुए बनाई गई वैकल्पिक व्यवस्था
- चार लाख से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
सरकार ने नए नियमों के तहत पदोन्नति की तैयारी की है, जिसमें मेरिट के साथ-साथ वरिष्ठता को भी आधार बनाया गया है। 1 अप्रैल 2025 से पदोन्नत कर्मचारियों को आर्थिक लाभ मिल सकेगा। सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि जैसे ही कैबिनेट से नियम पारित हों, तुरंत विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक कर आदेश जारी किए जाएं।
आरक्षण विवाद बना था बाधा
2016 में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट के आदेश और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण यह प्रक्रिया वर्षों तक रुकी रही। इस बीच एक लाख से अधिक कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही सेवानिवृत्त हो गए।
विधि विभाग ने सुझाया रास्ता
विधि एवं विधायी विभाग ने पुराने भर्ती नियमों का सहारा लेते हुए पदोन्नति का कानूनी रास्ता सुझाया। हाई कोर्ट के आरपी गुप्ता मामले में दिए गए आदेश के आधार पर समिति गठित कर भर्ती नियम 2010 के तहत प्रक्रिया शुरू की गई है।
मुख्यमंत्री का संदेश:
“कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग अब पूरी हो रही है। हमने सभी वर्गों की सहमति से रास्ता निकाला है, जिससे अब पदोन्नति में कोई रुकावट नहीं आएगी।”
प्रभाव:
मार्च 2024 तक प्रदेश में सात लाख से अधिक नियमित कर्मचारी हैं। चार लाख से ज्यादा को पदोन्नति का लाभ मिलने से प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी और कर्मचारियों का मनोबल भी बढ़ेगा।
