इंदौर। जीएसटी रिटर्न GSTR-1 में एक बार फिर बदलाव किया गया है, जिससे व्यापारियों और कर सलाहकारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब कारोबारी को व्यापारी-से-व्यापारी (B2B) और व्यापारी-से-ग्राहक (B2C) लेन-देन का अलग-अलग विवरण देना अनिवार्य कर दिया गया है। यह विवरण HSN कोड के अनुसार भरना होगा।
इस नए नियम के चलते व्यापारियों का कहना है कि व्यापार करने से ज्यादा समय अब रिटर्न भरने की औपचारिकताओं में जा रहा है। कर सलाहकार भी इस बदलाव को लेकर चिंता में हैं। उनका कहना है कि पोर्टल पर अब भी कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं की गई है, जबकि विभाग की ओर से निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
मुख्य बिंदु:
🔹 HSN कोड के अनुसार अब हर आपूर्ति की जानकारी अलग से देनी होगी।
🔹 व्यापारियों और सीए को रिटर्न दाखिल करने में चार गुना अधिक समय लग रहा है।
🔹 पांच करोड़ से कम टर्नओवर वालों को राहत देने की बात कही गई, लेकिन पोर्टल पर वह लागू नहीं दिखी।
🔹 कर सलाहकारों ने राज्य आयुक्त को ज्ञापन देकर परेशानी जाहिर की।
🔹 लगातार नियमों में बदलाव से व्यापारी और टैक्स प्रोफेशनल दोनों उलझन में हैं।
मध्यप्रदेश टैक्स लॉ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विन लखोटिया ने बताया कि रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख से ठीक पहले यह बदलाव लागू कर दिया गया। इससे व्यापारियों को और अधिक समय और संसाधन लगाने पड़ रहे हैं।
अब व्यापारी मांग कर रहे हैं कि पोर्टल पर तकनीकी सुधार किए जाएं और निर्देशों को व्यावहारिक बनाया जाए, जिससे रिटर्न प्रक्रिया सरल और सुगम हो सके।
