कहा – “अब बहुत देर हो चुकी है, कुछ नहीं किया जा सकता”
⚖️ याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद गिराए जाने के मामले में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और मुआवजा राशि भी दी जा चुकी है, इसलिए अब कोई कार्रवाई संभव नहीं है।
🕌 क्यों गिराई गई थी मस्जिद
यह मस्जिद महाकाल मंदिर परिसर के पास पार्किंग सुविधा के विस्तार के लिए अधिग्रहित जमीन पर बनी हुई थी।
मध्य प्रदेश सरकार ने इस साल जनवरी 2025 में मस्जिद को गिरा दिया था ताकि पार्किंग का काम शुरू किया जा सके।

⚖️ कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कहा –“
अब बहुत देर हो चुकी है, कुछ नहीं किया जा सकता।”कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने पहले जो भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका लगाई थी, उसे वे खुद वापस ले चुके हैं।
🙏 याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ता मोहम्मद तैयब और 12 अन्य लोगों का कहना था कि मस्जिद 1985 से वक्फ संपत्ति थी और वे वहां नियमित रूप से नमाज अदा करते थे।
उन्होंने मस्जिद के पुनर्निर्माण के निर्देश और कलेक्टर तथा भूमि अधिग्रहण अधिकारियों की जांच की मांग की थी।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा गया
याचिकाकर्ताओं के वकील एम.आर. शमशाद ने कहा कि मस्जिद को “एक अन्य धार्मिक स्थल” के लिए पार्किंग बनाने हेतु गिराया गया, जो गलत है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुआवजा अनधिकृत व्यक्तियों को दिया गया।
इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा हुआ है, तो इसके लिए अलग से कानूनी रास्ता उपलब्ध है।
महाकाल मंदिर पार्किंग परियोजना का हिस्सा
तकिया मस्जिद का विध्वंस महाकाल मंदिर क्षेत्र में पार्किंग विस्तार योजना का हिस्सा है।
सरकार का कहना है कि इस परियोजना से श्रद्धालुओं को बेहतर पार्किंग सुविधा मिल सकेगी।









