महू : मप्र.- (विशेष प्रतिनिधि) बुधवार को महू सैन्य छावनी के आर्मी वॉर कॉलेज में तीनों सेनाओं की संयुक्त संगोष्ठी ‘रण संवाद 2025’ के दूसरे और अंतिम दिन पूर्ण सत्र को संबोधित करने देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे। उन्होंने भारतीय सेना को संबोधित किया।
भारतीय सेना के जल, थल और वायु के कम्युनिकेशन एवं रडार सिस्टम अब एक साथ मिलकर दुश्मन का सामना करेंगे। इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ ने इस दिशा में एक संयुक्त सैन्य सिद्धांत (डाक्ट्रिन) तैयार किया है, जो साइबर, स्पेस, इलेक्ट्रानिक वारफेयर और ड्रोन के माध्यम से दुश्मन को चुनौती देने के लिए है। इस डाक्ट्रिन के तहत विशेष बलों और एयर बोर्न व हेली बोर्न संचालन के लिए भी संयुक्त सिद्धांत जारी किए गए हैं। इसके अनुसार, एयर बोर्न और हेली बोर्न यूनिट अब मल्टी मॉडल डोमेन पर संयुक्त रूप से कार्य करेंगी। सेना के अधिकारियों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के बाद मल्टी डोमेन ऑपरेशन की आवश्यकता को देखते हुए यह डाक्ट्रिन तैयार की गई है। इसका मुख्य लाभ यह होगा कि सेना तीनों इकाइयों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित कर किसी भी आपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे सकेगी। इस आधार पर सेना पहली बार हाइब्रिड मॉडल अपनाकर दुश्मन को चारों ओर से नुकसान पहुंचाने के साथ देश की सुरक्षा करेगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारत कभी भी युद्ध की इच्छा रखने वाला देश नहीं रहा है, लेकिन यदि कोई चुनौती प्रस्तुत करता है तो भारत उसे पूरी ताकत से जवाब देने के लिए तैयार है। मातृभूमि की रक्षा के लिए हम किसी भी हद तक जाने को तत्पर हैं। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेजस, एडवांस आर्टिलरी गन सिस्टम और आकाश मिसाइल जैसे स्वदेशी प्लेटफार्म विकसित किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आगामी युद्ध में हाइपरसोनिक मिसाइल, एआइ और साइबर अटैक का महत्वपूर्ण योगदान होगा। 2027 तक भारत की जल, थल और वायु सेना के हर जवान को ड्रोन तकनीक का अनुभव होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य के युद्ध केवल हथियारों की लड़ाई नहीं होगी, बल्कि तकनीक, खुफिया, अर्थव्यवस्था और कूटनीति का मिश्रण होंगे।
प्रेट्र के अनुसार, सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि प्रस्तावित त्रि-सेवा कमांड पर सेना में उत्पन्न असहमति का समाधान राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। यह असहमति दो दिवसीय रण संवाद सम्मेलन में तब सामने आई, जब वायु सेना प्रमुख एपी सिंह ने योजना को जल्दबाजी में लागू करने के खिलाफ चेतावनी दी, जबकि नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।