मनावर : (मप्र.) भारत के अलग-अलग राज्यों में लगातार बारिश और बाढ़ का कहर जारी है वहीं बात करें धार जिले के मनावर क्षेत्र की तो यहां पिछले कुछ दिनों से रुक-रुक कर बारिश का गिरना लगा हुआ है। मौसम ठंडा है और फसलों को भी पर्याप्त पानी मिल रहा है। वर्तमान में हो रही बारिश के कारण कपास और मक्का की फसल को नुकसान हो सकता है। सुनील स्टार चौहान ने बताया तेज बारिश से फसलों को जड़ सड़ने, बीमारियों, जलभराव, मिट्टी के कटाव, पौधों के गिरने और बीजों के सड़ने जैसे कई नुकसान होते हैं। इससे पैदावार कम होती है और सब्जियों व अनाजों के दाम बढ़ते है। धान जैसी कुछ फसलें अधिक पानी सह सकती हैं, लेकिन मक्का, कपास, गन्ना, सरसों, गेहूं और विभिन्न सब्जियां ज्यादा पानी से खराब हो जाती है।
फसलों को होने वाले प्रमुख नुकसान
जड़ सड़न और बीमारियाँ : खेतों में लंबे समय तक पानी भरने से जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे वे सड़ने लगती हैं। इससे फफूंद और कीटों का संक्रमण तेजी से फैलता है, जिससे जड़ गलन, तना सड़न और पत्तियों पर दाग जैसी बीमारियां होती हैं।
पौधे गिरना: तेज आंधी और बारिश से मक्का, गन्ना, सरसों और धान जैसी लंबी फसलें खेतों में गिर जाती हैं, जिससे पैदावार कम होती है और कटाई में दिक्कत आती है।
मिट्टी का कटाव: भारी बारिश से खेत की ऊपरी उपजाऊ मिट्टी बह जाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो जाती है।
बीज और पौध का खराब होना: ज्यादा नमी से बोए गए बीज सड़ जाते हैं और नई पौध गलकर खराब हो सकती है।
बीज की गुणवत्ता में कमी : धान की फसल पर बारिश का असर होने से दाना पतला, बेरंग और कम हो सकता है।
बाजार में सब्जियों की कमी: बारिश से टमाटर, मिर्च, बैंगन और खीरा जैसी सब्जियों की फसलें भी प्रभावित होती हैं, जिससे सब्जियों की कीमतें बढ़ जाती हैं।
बचाव के उपाय
जल निकासी की व्यवस्था: खेतों से अतिरिक्त पानी निकालने के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें। बारिश के मौसम में अपनी फसलों पर विशेष ध्यान दें और किसी भी बीमारी या कीट के संक्रमण के शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें। बारिश के मौसम में अगर फसल कटाई के बाद खेतों में पड़ी है, तो मौसम साफ होते ही उसे सुखायें और मड़ाई का काम करें। भारी बारिश से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए फसल बीमा योजनाओं का लाभ लें।