आलीराजपुर : (मप्र.) पत्रकारिता पर हुए बर्बर प्रहार और प्रशासनिक शक्ति के घोर दुरुपयोग के विरुद्ध वरिष्ठ पत्रकार एवं निर्वाचित जनप्रतिनिधि विक्रम सेन (नेता प्रतिपक्ष, नपा परिषद, आलीराजपुर) ने कलेक्टर डॉ. अभय अरविंद बेडेकर और अन्य सह–अभियुक्तों के खिलाफ़ निजी परिवाद (Private Complaint) दायर कर ऐतिहासिक कानूनी जंग छेड़ दी है। यह प्रकरण जिले ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की नौकरशाही में भूचाल ला सकता है।
इस परिवाद में आरोपी हैं
1. डॉ. अभय बेडेकर – कलेक्टर, आलीराजपुर
2. जनसंपर्क अधिकारी, आलीराजपुर
3. अन्य अज्ञात सह–अभियुक्त
लगाए गए संगीन आरोप
परिवाद में दर्ज धाराएँ सीधे–सीधे लोक सेवक द्वारा सत्ता का दुरुपयोग, फर्जीवाड़ा, मानहानि, आपराधिक षड्यंत्र, भ्रष्टाचार और प्रेस स्वतंत्रता पर हमला सिद्ध करती हैं।
मुख्य धाराएँ
भारतीय न्याय संहिता 2023: धारा 175(3), 198, 201, 257, 258, 318(3), 335, 336(1)(2)(4), 338, 340(1)(2), 351(1)(2)(3), 356(1)(2), 409, 420, 467, 468, 471, 500, 120B
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988: धारा 7, 13(1)(d), 13(2)
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000: धारा 66, 72
पत्रकारिता पर हमला
₹1000 करोड़ की रियासतकालीन शाही पुश्तैनी संपत्तियों और जन धरोहर के नामांतरण घोटाले का पर्दाफाश करने से बौखलाकर कलेक्टर ने वरिष्ठ पत्रकार विक्रम सेन को जिला बदर कर दिया।
यह कार्यवाही न केवल प्रेस स्वतंत्रता का दमन है, बल्कि भारतीय संविधान के —
अनुच्छेद 19(1)(a) (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता),
अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार),
अनुच्छेद 21 (जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का खुला उल्लंघन है।
प्राथमिक कारण – ₹1000 करोड़ का नामांतरण घोटाला
विक्रम सेन ने दस्तावेज़ों सहित उजागर किया कि आलीराजपुर की ऐतिहासिक धरोहर और शाही संपत्तियों की संदिग्ध वसीयत का नामांतरण महज़ 16 दिन में कर दिया गया। यह कार्यवाही पचासों आपत्तियों और दर्जनों दस्तावेज़ों की अनदेखी कर रिश्वतखोरी से की गई। सेन ने इसके समाचार प्रकाशित किए और कलेक्टर की भूमिका को बेनकाब किया। इसी प्रतिशोध में जिला बदर की कार्रवाई की गई।
जिला बदर प्रतिवेदन में घोर विसंगतियाँ
• कलेक्टर द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में 14 प्रकरणों का उल्लेख है। इनमें से —
• 10 प्रकरणों में सन् 2010 में ही दोषमुक्ति (Acquittal) हो चुकी है।
• 1 फर्जी मैसेज आधारित प्रकरण में Closure Report पुलिस ने प्रस्तुत कर दी थी।
अन्य दो प्रकरण भी मैसेज पर आधारित होकर निराधार, तथ्यहीन और खारिज योग्य हैं। एक सन 2017 से इंदौर न्यायालय में लंबित हैं। 8 साल में 4 गवाह भी इसमें नहीं आए हैं। गुजरात सीमा में लादे गए फर्जी प्रकरण में आज दिनांक तक चालान तक पेश नहीं हुआ हैं। उपरोक्त तीन में से दो प्रकरण हाईकोर्ट में खात्मा हेतु दायर हैं। दुर्भाग्य पूर्ण पहलू यह है कि एक मैसेज का प्रकरण भी डॉ अभय बेडेकर ने स्वयं पत्र लिखकर एक सत्य समाचार पर आपत्ति लेकर दर्ज कराया है।
विगत 17 वर्ष में इन तीन में से एक भी प्रकरण पर जिले की किसी भी न्यायालय ने चार्ज तक आरोपित नहीं किया है।
फिर भी इन्हें सक्रिय अपराध बताकर कलेक्टर ने कूट रचित साजिश रचते हुए रिपोर्ट में विचाराधीन बताते हुए शामिल किया हैं। यह सीधे–सीधे Double Jeopardy (अनुच्छेद 20(2)) और विधिक प्रक्रिया का उपहास है।
न्यायिक मिसालें
_Suresh @ Pappu Bhati v. State of M.P. (MP HC, 2011) – पुराने या खारिज प्रकरणों के आधार पर जिला बदर आदेश टिक नहीं सकता।_Prem Chand v. Union of India (SC, 1981) – मालाफाइड आदेश अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन है।
कलेक्टर डॉ. बेडेकर का आपराधिक इतिहास
• जुलाई 2023 – इंदौर अपर कलेक्टर रहते लोकायुक्त ने डॉ. बेडेकर पर FIR दर्ज की थी (प्रशासनिक शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप)।
• आलीराजपुर शाही परिवार ने भी बेडेकर के विरुद्ध भ्रष्टाचार संबंधी आवेदन, दस्तावेज़ और पेन ड्राइव लोकायुक्त में प्रस्तुत किया।
• कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर द्वारा विक्रम सेन पर थोपे गए आरोप पूर्णतः मनगढ़ंत, दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक हैं। यह कार्रवाई पत्रकारिता की स्वतंत्रता, लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था पर सीधा हमला है।
वरिष्ठ पत्रकार विक्रम सेन ने कहा —
“यह केवल मेरी लड़ाई नहीं, बल्कि संविधान, लोकतंत्र और स्वतंत्र पत्रकारिता की लड़ाई है। सत्य की जीत होकर रहेगी।”