ओम् = E=MC²: ओंकारेश्वर में संतों ने रचा विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत संगम

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मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में चल रहे एकात्म पर्व के तीसरे दिन अद्वैत वेदांत और आधुनिक विज्ञान के अद्भुत संगम का दृश्य देखने को मिला। संतों और विद्वानों ने ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक “ओम्” को अल्बर्ट आइंस्टीन के प्रसिद्ध समीकरण E=MC² के समान बताते हुए विज्ञान और अध्यात्म के गहरे संबंध को उजागर किया।

आश्चर्य में डालने वाली यह व्याख्या संतों ने बुधवार को मांधाता पर्वत पर आदि शंकराचार्य प्रकटोत्सव के अवसर पर आयोजित परिचर्चा में दी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार E=MC² में मास (द्रव्यमान) और एनर्जी (ऊर्जा) के बीच संबंध बताया गया है, ठीक उसी प्रकार “ओम्” भी ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है, जो सृजन की मूल ध्वनि मानी जाती है।

परिचर्चा के सूत्रधार स्वामी वेदत्त त्वरानंद पुरी थे। उनके साथ प्रो. रामनाथ झा (रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विवि), डॉ. मृत्युंजय गुहा मजूमदार, स्वामी परामात्मानंद सरस्वती, स्वामी प्रणव चैतन्य, निदेशक पंकज जोशी और प्रसिद्ध चिंतक नीलेश नीलकंठ ओक ने अपने विचार रखे।

संतों ने कहा:
“E=MC² यह बताता है कि द्रव्यमान को ऊर्जा में और ऊर्जा को द्रव्यमान में बदला जा सकता है। इसी तरह ओम्, जो सृष्टि की मूल ध्वनि है, ऊर्जा का केंद्र है। यह ऊर्जा पूरे ब्रह्मांड को प्रभावित करती है, ठीक वैसे ही जैसे E=MC² में ऊर्जा ब्रह्मांडीय क्रियाओं को संचालित करती है।”

यह अद्वितीय दृष्टिकोण केवल धार्मिक अवधारणा नहीं, बल्कि अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय का एक नवीनतम दृष्टिकोण भी है, जिससे आधुनिक वैज्ञानिकों और आध्यात्मिक विचारकों के बीच संवाद का नया मार्ग खुलता है।

Pooja upadhyay
Author: Pooja upadhyay

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