महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल बढ़ती जा रही है। ताजा घटनाक्रम में राज्य सरकार ने 20 से अधिक शिवसेना विधायकों की सुरक्षा घटा दी है, जिससे महायुति सरकार में विवाद तेज हो गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के गृह मंत्रालय ने इन विधायकों की वाई+ सुरक्षा हटाकर केवल एक कांस्टेबल तक सीमित कर दी है।इस फैसले से डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं, क्योंकि इससे उन विधायकों पर प्रभाव पड़ सकता है, जिन्होंने 2022 में शिंदे का समर्थन किया था। हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
शिवसेना-बीजेपी में टकराव की नई वजहें
महायुति के अंदर शक्ति संतुलन
शिंदे और फडणवीस के बीच राजनीतिक वर्चस्व की खींचतान लगातार चर्चा में है। दोनों नेताओं ने उद्योग और विकास योजनाओं की अलग-अलग समीक्षा बैठकें कीं, जिससे स्पष्ट होता है कि गठबंधन में सामंजस्य की कमी है।
मंत्रियों के विभागीय अधिकारों को लेकर तनाव
रायगढ़ और नासिक के संरक्षक मंत्री पदों को लेकर भी बीजेपी और शिवसेना के बीच तकरार बनी हुई है। शिंदे समर्थक चाहते थे कि ये पद उनके पास रहें, लेकिन फडणवीस ने एनसीपी नेता अदिति तटकरे को रायगढ़ का संरक्षक मंत्री नियुक्त कर दिया, जिससे विवाद और गहरा गया।
शिंदे की प्रशासनिक बैठकों पर सवाल
कुछ अधिकारी मानते हैं कि डिप्टी सीएम के पास कैबिनेट मंत्री से अलग कोई विशेष अधिकार नहीं होते, फिर भी शिंदे द्वारा समीक्षा बैठकों का आयोजन राजनीतिक बढ़त हासिल करने की कोशिश माना जा रहा है।
भुगतान आधारित सुरक्षा – एक नया मॉडल?
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में यह नीति भी अपनाई है कि प्रमुख उद्योगपतियों और फिल्मी सितारों को सुरक्षा कवर भुगतान के आधार पर मिलेगा। इसमें अंबानी परिवार, अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और सलमान खान जैसे नाम शामिल हैं।
राजनीतिक समीकरण बदलने के संकेत
महायुति सरकार में लगातार बढ़ते मतभेद इस ओर इशारा कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। क्या शिवसेना और बीजेपी के बीच दरार और गहरी होगी या कोई नया संतुलन बनेगा? यह देखना दिलचस्प होगा।
