मध्य प्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती से जुड़े एक अहम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए स्पष्ट कर दिया है कि पुलिस आरक्षक भर्ती के लिए रोजगार कार्यालय का लाइव पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। इस फैसले के साथ ही उन उम्मीदवारों को राहत मिली है, जिनकी आवेदन प्रक्रिया सिर्फ इस शर्त के कारण निरस्त कर दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार की याचिका की खारिज
मध्य प्रदेश शासन ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरान चयनित उम्मीदवारों की ओर से यह तर्क दिया गया कि उनके पास रोजगार कार्यालय का लाइव पंजीकरण कार्ड न होने के कारण उनकी उम्मीदवारी को अमान्य घोषित कर दिया गया था।
संविधान के अनुच्छेद 16 का हवाला
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि सरकारी नौकरियों के लिए किसी भी प्रकार की अनावश्यक शर्तें लगाना संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत सार्वजनिक रोजगार के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि पात्र उम्मीदवारों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाए और रोजगार कार्यालय के पंजीकरण को अनिवार्य शर्त के रूप में न रखा जाए।
एमपी सरकार को बड़ा झटका
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मध्य प्रदेश सरकार के लिए एक झटका साबित हुआ है, क्योंकि उन्होंने इस शर्त को लागू करने के लिए विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। अब इस फैसले के बाद पुलिस भर्ती प्रक्रिया में बदलाव देखने को मिल सकता है, जिससे कई उम्मीदवारों को लाभ होगा।यह निर्णय न केवल मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य में होने वाली अन्य सरकारी भर्तियों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।
