ओडिशा हाई कोर्ट में पद्मश्री अवॉर्ड को लेकर एक दिलचस्प मामला सामने आया है, जहां एक ही नाम के दो अलग-अलग दावेदारों ने इस प्रतिष्ठित सम्मान पर अपना हक जताया है। हाई कोर्ट ने दोनों व्यक्तियों को नोटिस जारी कर 24 फरवरी को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा विवाद?
2023 में पद्मश्री अवॉर्ड विजेताओं की सूची में “श्री अंतर्यामी मिश्रा” नाम दर्ज था, जिन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित किया जाना था। दिल्ली में आयोजित समारोह में पत्रकार अंतर्यामी मिश्रा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से यह पुरस्कार ग्रहण किया। लेकिन इसके बाद डॉ. अंतर्यामी मिश्रा नाम के एक चिकित्सक ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया कि यह पुरस्कार उन्हें मिलना चाहिए था, और गलत व्यक्ति ने उनके स्थान पर यह सम्मान ले लिया।
डॉ. अंतर्यामी मिश्रा का दावा
याचिकाकर्ता डॉ. अंतर्यामी मिश्रा ने अदालत में बताया कि उन्होंने ओडिया और अन्य भारतीय भाषाओं में 29 किताबें लिखी हैं, जिसकी वजह से उनका नाम पद्मश्री पुरस्कार विजेताओं की सूची में शामिल किया गया था। उन्होंने दावा किया कि पत्रकार अंतर्यामी मिश्रा के नाम से कोई पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई है, इसलिए उन्हें यह अवॉर्ड नहीं मिलना चाहिए था।
अदालत की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान जस्टिस एस.के. पाणिग्रही ने इस विवाद पर चिंता जताई और कहा कि सरकार की कड़ी सत्यापन प्रक्रिया के बावजूद यह गलती कैसे हुई? यह स्थिति पद्मश्री चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाती है। कोर्ट ने दोनों दावेदारों को आदेश दिया कि वे अपने दावों को साबित करने के लिए सभी प्रकाशनों और प्रमाणों के साथ पेश हों।
क्या होगा आगे?
हाई कोर्ट ने इस मामले में भारत सरकार को भी नोटिस जारी किया है। अब दोनों दावेदारों को अदालत में सबूत पेश करने होंगे कि वास्तविक विजेता कौन है। इस मामले ने देशभर में चर्चा छेड़ दी है और सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।
