बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, जो पहले केवल बाघों के लिए प्रसिद्ध था, अब पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी अपनी महत्वपूर्ण पहचान बना रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा की गई हाल की खोजों ने इस क्षेत्र को विश्व धरोहर के रूप में प्रस्तुत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। एएसआई की टीम ने इस क्षेत्र में 28 नई गुफाएं, 25 मंदिर और उनके भग्नावशेष, 27 ब्राह्मी अभिलेख, 61 मूर्तियां और प्राचीन जल संरचनाओं की खोज की है, जो दूसरी से बारहवीं शताब्दी के बीच की हैं। इन ऐतिहासिक अवशेषों में एक विशेष रूप से 32 फीट ऊंची दशावतार की प्रतिमा और लगभग एक हजार साल पुराना बोर्ड गेम उल्लेखनीय हैं।
इन प्राचीन धरोहरों के कारण बांधवगढ़ अब केवल बाघों के निवास स्थान के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर स्थल के रूप में भी अपनी पहचान बना चुका है। एएसआई ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है। इसके साथ ही, इस स्थल पर हेरिटेज सफारी शुरू करने की भी मांग की गई है, ताकि पर्यटक इन प्राचीन धरोहरों का अवलोकन कर सकें।
इस क्षेत्र की प्राचीन वास्तुकला और सांस्कृतिक महत्व ने इसे एक अद्वितीय स्थल बना दिया है, और अब यह क्षेत्र न केवल प्रकृति प्रेमियों, बल्कि इतिहास और संस्कृति के अनुसंधानकर्ताओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। 2022-23 के बीच किए गए सर्वेक्षण को दुनिया की टॉप-10 खोजों में शामिल किया गया, जिससे बांधवगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को वैश्विक पहचान मिली है।
इस प्रकार, बांधवगढ़ का यह क्षेत्र अब एक महत्वपूर्ण प्राचीन धरोहर स्थल के रूप में उभरकर सामने आ रहा है, और इसके विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिलने की संभावना प्रबल होती जा रही है।