उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में 17 फरवरी से शिवनवरात्र की शुरुआत हो रही है। इस दौरान भगवान महाकाल दूल्हा बनेंगे और महाशिवरात्रि तक नौ दिन भक्तों को विभिन्न रूपों में दर्शन देंगे। विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक का आयोजन किया जाएगा।
महाकाल मंदिर में शिवनवरात्र का आयोजन 17 फरवरी से शुरू होगा, जिसमें भगवान महाकाल का शृंगार अलग-अलग रूपों में होगा। इस समय मंदिर में विशेष पूजा का सिलसिला चलेगा, और भक्तों को महाकाल के अद्भुत रूपों का दर्शन मिलेगा।
इस उत्सव में प्रतिदिन अभिषेक, पूजन और आरती का विशेष क्रम होगा। 17 फरवरी को शिव पंचमी के दिन विशेष पूजा की शुरुआत होगी। सुबह 9:30 बजे से महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल का पूजन शुरू होगा, जिसके बाद 11 ब्राह्मण रुद्रपाठ करेंगे और विशेष पूजा का आयोजन दोपहर तक चलेगा।
नौ दिनों में भगवान महाकाल का शृंगार अलग-अलग रूपों में होगा:
पहले दिन: चंदन शृंगार
दूसरे दिन: शेषनाग शृंगार
तीसरे दिन: घटाटोप शृंगार
चौथे दिन: छबीना शृंगार
पांचवे दिन: होलकर शृंगार
छठे दिन: मनहेश शृंगार
सातवें दिन: उमा महेश शृंगार
आठवें दिन: शिवतांडव शृंगार
नौवें दिन: सप्तधान्य शृंगार
इसके अलावा, इस दौरान भोग आरती और संध्या पूजा का समय भी बदलेगा। भोग आरती अब सुबह की बजाय दोपहर 1 बजे होगी, जबकि संध्या पूजा का आयोजन 3 बजे होगा।
महाकाल मंदिर के पुजारी इस दौरान उपवास भी रखते हैं, जैसे देवी नवरात्रि के दौरान भक्त उपवास रखते हैं। 27 फरवरी को महाशिवरात्रि के अगले दिन भगवान महाकाल की भस्म आरती होगी, जो हर साल दिन में एक बार होती है। इस बार यह भस्म आरती दोपहर 12 बजे की जाएगी।