पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरे के निष्पादन से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को लेकर एमजीएम मेडिकल कॉलेज द्वारा एक गहन अध्ययन किया जा रहा है। यह अध्ययन शासन के निर्देश पर किया जा रहा है ताकि कचरे के जलाने के पर्यावरणीय और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का वैज्ञानिक आकलन किया जा सके।विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि वर्ष 2015 में 10 टन कचरा जलाए जाने के बाद से पानी का रंग लाल हो गया, त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ी हैं और कैंसर के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। इसी आधार पर, मेडिकल कॉलेज की विशेषज्ञ टीम द्वारा व्यापक शोध और विश्लेषण किया जा रहा है।
इस रिपोर्ट के निष्कर्ष सरकार को भेजे जाएंगे, जिससे नागरिकों की संदेह और भ्रांतियां दूर हो सकें। इस अध्ययन का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि कचरे का निष्पादन स्वास्थ्य और पर्यावरण पर किस हद तक प्रभाव डाल रहा है।यह रिपोर्ट भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के निर्देश पर बनाई जा रही है, और इसके परिणामों की संभावना सकारात्मक होने की उम्मीद है।