मध्य प्रदेश में निवेशकों को दी जा रही छूट: निवेश प्रस्ताव देना बाध्यकारी नहीं

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मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार राज्य में निवेश आकर्षित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है और निवेशकों को हर संभव सुविधा देने की कोशिश कर रही है। राज्य सरकार ने निवेशकों को यह सुनिश्चित किया है कि वे निवेश प्रस्ताव देने के बाद यदि किसी कारण से पीछे हटना चाहें तो उन पर कोई कानूनी दबाव नहीं डाला जाएगा। इससे निवेशकों को अपनी स्थिति के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलती है।

मध्य प्रदेश सरकार की टीम ने हाल ही में इंग्लैंड और जर्मनी का दौरा किया, जहां निवेश के इच्छुक निवेशकों को यह भरोसा दिलाया गया कि निवेश प्रस्ताव देने के बाद भी अगर वे निवेश से पीछे हटते हैं तो इसके लिए उन्हें कोई कानूनी प्रतिबंध का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह कदम निवेशकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से उठाया गया है, हालांकि भविष्य में इसके प्रभाव पर विचार किया जा रहा है।

पूर्व में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट और विदेशों में किए गए रोड शो से भी कई निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, लेकिन अधिकांश प्रस्तावों का धरातल पर रूपांतरण नहीं हो सका। राज्य सरकार ने सिंगल विंडो सिस्टम और बिना अनुमति के उद्योग स्थापित करने जैसे कई वादे किए हैं, जिन्हें अब अमलीजामा पहनाया जा रहा है।

हालांकि, उद्योगों की स्थापना से जुड़े अधिकारियों की कार्य संस्कृति में सुधार की आवश्यकता बनी हुई है, ताकि मध्य प्रदेश निवेश के मामले में शीर्ष राज्यों में शामिल हो सके।

सरकार ने उद्योगों के लिए आवंटित भूमि के उपयोग पर सख्ती भी बढ़ा दी है। यदि उद्योग के लिए दी गई भूमि का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया जा रहा है, तो उस भूमि को वापस लिया जाएगा। 208 औद्योगिक क्षेत्रों में 9,000 से अधिक उद्योग स्थापित हो चुके हैं और 30,000 हेक्टेयर भूमि में 115 औद्योगिक क्षेत्रों का विकास हो रहा है।

पिछले 10 वर्षों में 30 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले, जिनमें से 3.47 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निवेश हुआ, जिससे 2 लाख से अधिक रोजगार सृजित हुए हैं।

Soniya upadhyay
Author: Soniya upadhyay

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