यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में 40 वर्षों से दफन जहरीले कचरे का अंतिम निपटान अब तेजी से किया जा रहा है। गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के संचालक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि यह कचरा 1984 में मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसाव के बाद का है, जिसे पीथमपुर में जलाने की प्रक्रिया जारी है।
स्वतंत्र कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि 337 टन कचरे के निपटान के बाद फैक्ट्री पूरी तरह से जहरीले कचरे से मुक्त हो जाएगी। कुल 347 टन कचरा था, जिसमें से 10 टन पहले ही नष्ट किया जा चुका है और बाकी का जल्द ही निपटान किया जाएगा।
मिट्टी और पानी में मौजूद जहरीले तत्वों को लेकर सिंह ने बताया कि इस संबंध में विज्ञानियों द्वारा पूर्व में जांच की जा चुकी है। यदि भविष्य में न्यायालय कोई नया आदेश जारी करता है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
इस बीच, कचरा जलाने के विरोध के सवाल पर सिंह ने कहा कि इस प्रक्रिया में कोई पर्यावरणीय नुकसान नहीं हुआ है और स्थानीय नागरिकों एवं किसानों से इस पर चर्चा की जा चुकी है।