मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का शुक्रवार को आखिरी दिन विवादों और हंगामों से भरा रहा। जहां एक ओर सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए, वहीं दूसरी ओर संसद में हुई हालिया घटना ने सदन का माहौल गरमा दिया। पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच तीखी बहस हुई, जो आसंदी तक पहुंच गई।
संसद की घटना ने गर्माया सदन का माहौल
संसद में हालिया घटनाक्रम पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगते हुए तीखी आलोचना की। सत्ता पक्ष ने विपक्ष की टिप्पणियों को राजनीति प्रेरित बताते हुए पलटवार किया। बहस इतनी बढ़ गई कि कई विधायक आसंदी के पास पहुंच गए और जोरदार नारेबाजी करने लगे।
विधायकों के आक्रामक रुख से बाधित कार्यवाही
हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही कई बार रोकनी पड़ी। आखिरी बार जब कार्यवाही शुरू हुई, तब भी शांति कायम नहीं हो सकी। पक्ष और विपक्ष के विधायकों की बढ़ती तनातनी को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया।
महत्वपूर्ण विधेयकों पर मुहर
सत्र के दौरान कुछ अहम विधेयक पारित किए गए। हालांकि, इनकी चर्चा भी हंगामे के बीच अधूरी रह गई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार विधेयकों पर पर्याप्त चर्चा नहीं कर रही, जबकि सरकार ने विधायकों से रचनात्मक सहयोग की अपेक्षा जाहिर की।
राजनीतिक समीकरण पर असर
सदन के इस हंगामे ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की राजनीति को और गर्मा दिया है। विपक्ष इसे सरकार की विफलताओं को छुपाने की रणनीति बता रहा है, जबकि सत्तापक्ष इसे विपक्ष की अनावश्यक राजनीति करार दे रहा है।
जनता के मुद्दों पर भी नहीं हुई चर्चा
सत्र के आखिरी दिन विधानसभा से जुड़े कई जनहित के मुद्दों पर चर्चा की अपेक्षा की जा रही थी, लेकिन संसद की घटना से जुड़े हंगामे ने सदन का अधिकांश समय बर्बाद कर दिया। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि जनता से जुड़े असली मुद्दों पर बात न करने के लिए यह व्यवधान पैदा किया गया।इस शीतकालीन सत्र का समापन अनिश्चितकालीन स्थगन के साथ हुआ, लेकिन जो सवाल जनता के बीच बाकी रह गए, वे आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति को प्रभावित करेंगे।