इंदौर को भिक्षावृत्ति मुक्त शहर बनाने के लिए प्रशासन ने तीव्र अभियान शुरू किया है। यह कदम शहर को स्वच्छता के बाद भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने की दिशा में उठाया गया है।
अभियान का पूरा विवरण:
1. पहला चरण (फरवरी से अगस्त 2024):
अभियान के पहले चरण में भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों और उनके परिवारों को समझाइश दी गई कि वे भीख न मांगे और अपने जीवन को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करें। इस दौरान जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए गए।
2. दूसरा चरण (सितंबर से दिसंबर 2024)
सितंबर से प्रशासन ने भिक्षुकों का रेस्क्यू अभियान चलाया। इस प्रक्रिया में सड़क और सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की गई।
3 तीसरा चरण (1 जनवरी 2025 से)
नए साल से अभियान के तीसरे और सबसे सख्त चरण की शुरुआत की जाएगी। इस चरण में, भीख मांगने और भीख देने वालों दोनों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन का मानना है कि भिक्षावृत्ति को प्रोत्साहित करने में भीख देने वालों की भूमिका अहम होती है, इसलिए उन्हें भी इस अभियान के अंतर्गत दंडित किया जाएगा।
प्रमुख उद्देश्य
– इंदौर को न केवल स्वच्छता में नंबर 1, बल्कि भिक्षावृत्ति मुक्त शहर भी बनाना।
– सार्वजनिक स्थानों पर भिक्षावृत्ति को खत्म कर शहर की छवि को और बेहतर बनाना।
– भिक्षुकों के पुनर्वास और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाना।
प्रशासन का संदेश
इंदौर प्रशासन ने शहरवासियों से अपील की है कि वे भीख न दें, बल्कि भिक्षावृत्ति उन्मूलन अभियान में सहयोग करें। यह कदम न केवल भिखारियों की जिंदगी को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि शहर को स्वच्छ और गरिमामय वातावरण प्रदान करेगा।
नए साल से इस सख्त अभियान के लागू होने के साथ ही इंदौर प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए हर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।