जन्मदिन पर विशेष
सिनेमा की दुनिया में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जिन्हें लोग केवल एक कलाकार के रूप में नहीं, बल्कि भगवान के रूप में पूजते हैं। साउथ सिनेमा के मेगास्टार *रजनीकांत, जो आज अपना **74वां जन्मदिन* मना रहे हैं, उनमें से एक हैं। 44 सालों से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय रजनीकांत का असली नाम *शिवाजी राव गायकवाड़* है। उनकी कहानी संघर्ष, मेहनत और अपार सफलता की एक ऐसी मिसाल है, जो हर किसी को प्रेरित करती है।
कठिन बचपन और संघर्ष की शुरुआत
*12 दिसंबर 1950* को एक साधारण मराठी परिवार में जन्मे रजनीकांत का बचपन बेहद कठिनाइयों से भरा था। उन्होंने छोटी उम्र में अपनी मां को खो दिया और परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण *कुली* और *बस कंडक्टर* जैसे छोटे-मोटे काम किए। बतौर बस कंडक्टर, उनके अनोखे अंदाज ने उन्हें सहकर्मियों और यात्रियों के बीच लोकप्रिय बना दिया।
दोस्त की सलाह से बदल गई जिंदगी
उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ तब आया, जब उनके दोस्त ने उन्हें फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने की सलाह दी। यह सलाह उनके जीवन की दिशा बदलने वाली साबित हुई। 1975 में उन्होंने तमिल फिल्म *‘कथा संगम’* से डेब्यू किया। शुरुआत में वे सपोर्टिंग रोल करते थे, लेकिन उनके अभिनय और स्क्रीन प्रजेंस ने उन्हें साउथ सिनेमा का चमकता सितारा बना दिया।
‘बाशा’ ने बदली किस्मत
पहली बार रजनीकांत मुख्य अभिनेता के रूप में फिल्म *‘भुवन ओरु केल्विकुरी’* में नजर आए, लेकिन उनकी असली पहचान फिल्म *‘बाशा’* से बनी। इस फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड बनाए, बल्कि उन्हें फैंस के दिलों का ‘थलाइवा’ बना दिया।
फैंस की दीवानगी ने बनाया भगवान
रजनीकांत की सादगी, मेहनत और जमीन से जुड़े स्वभाव ने उन्हें फैंस के दिलों में एक खास स्थान दिया। उनकी फिल्मों की रिलीज पर त्योहार जैसा माहौल होता है। उनकी लोकप्रियता का एक अनोखा उदाहरण तमिलनाडु के मदुरै में देखने को मिला, जहां उनके एक जबरा फैन *कार्तिक* ने उनका मंदिर बनवाया। इस मंदिर में 250 किलो वजनी रजनीकांत की मूर्ति स्थापित है। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में एक फैन को परिवार सहित इस मूर्ति पर दूध से अभिषेक करते हुए देखा गया। यह दृश्य दिखाता है कि रजनीकांत केवल एक अभिनेता नहीं, बल्कि अपने फैंस के लिए भगवान समान हैं।
आज भी प्रेरणा हैं
साउथ सिनेमा के साथ-साथ बॉलीवुड में भी अपनी छाप छोड़ने वाले रजनीकांत ने संघर्ष और मेहनत से जो मुकाम हासिल किया है, वह बेमिसाल है। उम्र के इस पड़ाव पर भी उनका सिनेमा के प्रति जुनून और काम के प्रति समर्पण युवाओं के लिए प्रेरणा है।रजनीकांत की कहानी सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद, अगर मेहनत और लगन हो, तो जीवन में कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।