उज्जैन में रविवार को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का धूमधाम से आयोजन हुआ। यह महोत्सव 8 से 12 दिसंबर तक मनाया जाएगा। इस महोत्सव की शुरुआत कालिदास अकादमी के मंच से हुई, जहाँ गीता के महत्व को उजागर करने के लिए विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर प्रसिद्ध गीतकार मनोज मुंतशिर शुक्ला ने अपने मधुर शब्दों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपनी रचना “पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएंगे” प्रस्तुत की, जिससे समां एक दिव्य वातावरण से भर गया। इस विशेष अवसर पर, गीता महोत्सव के तहत भगवान श्री कृष्ण के 270 चित्रों का प्रदर्शनी आयोजन भी किया गया, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थे। इन चित्रों में श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं, उनके भक्तों के प्रति प्रेम और गीता के शाश्वत संदेश को दर्शाया गया। यह प्रदर्शनी गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी।
महोत्सव में विशेष रूप से कोलकाता की प्रसिद्ध कलाकार सुमन साहा द्वारा निर्देशित ‘गुरू दक्षिणा’ महानाट का भी मंचन किया गया, जिसमें गीता के संदेश को एक नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम ने श्रोताओं को गीता के शिक्षाओं से जुड़ने का एक नया तरीका प्रदान किया। उज्जैन के इस महोत्सव ने न केवल धार्मिक परंपराओं को बढ़ावा दिया, बल्कि कला और संस्कृति को भी सम्मानित किया। यह महोत्सव विशेष रूप से युवा पीढ़ी को गीता के सन्देश से जोड़ने और भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।