भारत में 16वीं जनगणना 16 साल बाद अप्रैल 2026 से शुरू होगी और यह पहली बार डिजिटल माध्यम से की जाएगी। इसके लिए देशभर में 30 लाख से अधिक गणनाकर्मियों को प्रशिक्षण देकर तैनात किया जाएगा। घर-घर जाकर वे लोगों से जानकारी जुटाएंगे। इस जनगणना पर 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होने का अनुमान है। इस बार लोग स्वयं भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे।
गृह मंत्रालय ने बताया कि पहले चरण में अप्रैल 2026 से मकानों की गणना होगी, जबकि जातिगत जनगणना की शुरुआत अक्टूबर 2026 से पहाड़ी राज्यों में होगी। देशभर में यह प्रक्रिया 1 मार्च 2027 से शुरू होगी। 1931 के बाद यह पहली बार होगा जब सभी जातियों के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। इससे पहले केवल अनुसूचित जाति और जनजातियों के आंकड़े ही शामिल होते थे।
नागरिकों से पानी, बिजली, ईंधन, शौचालय, रसोई, टीवी, रेडियो जैसी सुविधाओं से जुड़े सवाल पूछे जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अप्रैल 2025 को इसकी घोषणा की थी, जिसके बाद सरकार ने डिजिटल और जातिगत जनगणना को हरी झंडी दी है।
