मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय (PHQ) ने प्रदेशभर के पुलिस अधिकारियों के तबादले की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह आदेश उन पुलिस अधिकारियों पर लागू होगा, जो एक ही जिले में 10 साल या उससे अधिक समय से तैनात हैं। इस फैसले का उद्देश्य पुलिसिंग में पारदर्शिता लाना और निष्पक्ष कार्रवाई को सुनिश्चित करना है।
18 फरवरी को जारी इस पत्र में पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (SP), पुलिस आयुक्तों और अन्य शाखाओं से संबंधित अधिकारियों से 25 फरवरी तक जानकारी मांगी है। आदेश के अनुसार, डीएसपी, इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर जैसे अधिकारी जिनका कार्यकाल एक ही जिले में लंबा हो गया है, उन्हें अब दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाएगा।
क्यों लिया गया यह फैसला?
एक ही स्थान पर लंबे समय तक तैनाती से पुलिस अधिकारियों के स्थानीय प्रभाव बढ़ जाते हैं, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। चुनाव आयोग भी समय-समय पर इस तरह के स्थानांतरण के निर्देश देता रहा है ताकि निष्पक्ष और पारदर्शी प्रशासन सुनिश्चित हो सके।
एसएस शुक्ला, रिटायर्ड एडीजी का कहना है, “जो अधिकारी फील्ड पोस्टिंग में लंबे समय तक एक जगह रहते हैं, उनके स्थानीय संबंध मजबूत हो जाते हैं। इससे निष्पक्ष कार्रवाई पर असर पड़ता है। यह बदलाव आवश्यक था।”
क्या होंगे बदलाव के असर?
प्रदेशभर के अधिकारी प्रभावित: इस आदेश से पूरे मध्य प्रदेश के डीएसपी, इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर प्रभावित होंगे।
निष्पक्षता में सुधार: नए अधिकारी के आने से क्षेत्र में निष्पक्षता और प्रभावी कार्रवाई देखने को मिलेगी।
योग्यता को मिलेगा नया मंच: जेपी शर्मा, रिटायर्ड एसपी के मुताबिक, “इस फैसले से योग्य अधिकारियों को नई जगह पर खुद को साबित करने का मौका मिलेगा, जिससे पुलिसिंग में सुधार आएगा।”
गृह जिले में तैनाती पर भी नजर
कई अधिकारी अपने गृह जिले या आसपास के जिलों में वर्षों तक पदस्थ रहते हैं। इससे न केवल निष्पक्षता प्रभावित होती है, बल्कि स्थानीय दबाव भी बढ़ता है। पुलिस मुख्यालय ने इस मुद्दे को भी संज्ञान में लिया है और इस बार ऐसे मामलों पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
मध्य प्रदेश पुलिस का यह कदम न केवल निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा बल्कि आम जनता के भरोसे को भी मजबूत करेगा। 25 फरवरी के बाद इन तबादलों की प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है, जिससे पुलिसिंग में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।
