स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में कई अहम बदलाव किए गए हैं, जिनमें सबसे बड़ा बदलाव निगेटिव मार्किंग का है। इसके तहत, यदि किसी शहर में स्वच्छता कार्यों में 50% या उससे अधिक कमी पाई जाती है, तो उस शहर के अंक में अधिकतम 30 अंक की कटौती की जाएगी। यह पहला मौका है जब स्वच्छता सर्वेक्षण में निगेटिव मार्किंग लागू की गई है।
केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने शहरों से मासिक रूप से स्वच्छता से संबंधित जानकारी एकत्र करने के बाद, इस वर्ष सर्वेक्षण के दौरान यह निगेटिव मार्किंग का नियम लागू किया है। यदि किसी शहर में कार्यों में 50% कमी मिलेगी, तो उसे 30 अंक कम मिलेंगे। पिछले वर्ष, इंदौर और सूरत ने मिलकर शीर्ष स्थान प्राप्त किया था, और इस बार निगेटिव मार्किंग के कारण परिणामों में बड़ा बदलाव आ सकता है।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में 12 शहरों को ‘सुपर स्वच्छ लीग’ में शामिल किया गया है, जिसमें शहरों को 12500 अंकों के पैमाने पर आंका जाएगा। यदि कोई शहर 85% से कम अंक प्राप्त करता है, तो उसे लीग से बाहर कर दिया जाएगा। इस बार नए शहर अपनी-अपनी श्रेणियों में शीर्ष रैंक प्राप्त करेंगे, और हर वर्ष नई सूची बनेगी।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 का लक्ष्य है कि शहरों में सुविधाओं को बेहतर किया जाए, जिसमें यूरिनल्स और शौचालयों की स्थिति सुधारी जाएगी। निगमायुक्त शिवम वर्मा ने कहा कि शहर की स्वच्छता मापदंडों को पूरा करने के लिए पूरी तैयारी की गई है, और सरकारी व निजी स्कूलों को भी साफ-सफाई के दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण की प्रमुख थीम ‘रिड्यूज, रियूज, रिसाइकल’ रखी गई है, और 4900 से अधिक शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी।