सुप्रीम कोर्ट ने उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कड़ी फटकार लगाई है जो भ्रामक विज्ञापनों और चिकित्सा दावों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने में असफल रहे हैं। शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी है कि अगर ये राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करते, तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी।सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) की याचिका पर सुनवाई करते हुए भ्रामक विज्ञापनों को लेकर कठोर रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए थे, लेकिन कई राज्यों ने इन निर्देशों का पालन करने में निष्क्रियता दिखाई।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चिकित्सा संघ के पूर्व अध्यक्ष आरवी अशोकन को भी राहत दी। अदालत ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही बंद करने का आदेश दिया, क्योंकि उन्होंने अदालत में माफी मांगी थी।सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के अनुपालन की समीक्षा के लिए एक शेड्यूल भी निर्धारित किया, जिसके तहत विभिन्न राज्यों से 17 मार्च तक अपने हलफनामे दाखिल करने को कहा गया है। अदालत ने साफ कहा कि यदि राज्यों ने अपनी जिम्मेदारियां सही से नहीं निभाईं, तो अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी।