सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि पकड़े गए आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में नहीं रखा जाएगा, बल्कि उनकी नसबंदी और एंटी-रेबीज टीकाकरण के बाद उन्हें उसी स्थान पर छोड़ दिया जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। हालांकि, हिंसक और आक्रामक कुत्तों को अलग स्थान पर रखा जाएगा और उन्हें नहीं छोड़ा जाएगा। यह आदेश पूरे देश में लागू होगा।
जस्टिस विक्रमनाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन वी अंजारिया की पीठ ने यह निर्णय दिया। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही, नगर निगमों को निर्दिष्ट फीडिंग प्वाइंट स्थापित करने का निर्देश दिया गया है, जहां कुत्तों को भोजन दिया जाएगा। इन स्थानों पर नोटिस बोर्ड लगाए जाएंगे, जिसमें स्पष्ट लिखा होगा कि केवल इन निर्धारित स्थानों पर ही कुत्तों को खाना खिलाया जा सकता है। सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को भोजन देने की अनुमति नहीं होगी, और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया जाएगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति या एनजीओ इस आदेश के कार्यान्वयन में बाधा नहीं डालेगा। कुत्ता गोद लेने के इच्छुक लोगों को आवेदन करना होगा, और उनकी जिम्मेदारी होगी कि गोद लिया गया कुत्ता सड़कों पर वापस न आए। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को 25,000 रुपये और प्रत्येक एनजीओ को 2 लाख रुपये जमा करने होंगे, जिसका उपयोग शेल्टर होम की सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के लिए किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले और एनजीओ पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जो शेल्टर होम की सुविधाओं को बेहतर बनाने में इस्तेमाल होगा।