सीहोर बीमा घोटाला: 27 साल बाद आया बड़ा फैसला, 38 दोषी करार, 28 को जेल

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मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में 27 साल पुराने बहुचर्चित बीमा घोटाले पर आखिरकार न्यायालय ने बड़ा फैसला सुना दिया है। इस घोटाले में फर्जी दस्तावेजों के जरिए 72 लाख रुपये की हेराफेरी की गई थी। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) अर्चना नायडू बोडे ने 39 दोषियों को 3 से 5 साल की सजा सुनाई, जिनमें से 28 को तत्काल जेल भेज दिया गया। वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान 9 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि एक आरोपी गंभीर रूप से बीमार होने के चलते अस्पताल में भर्ती है।

क्या था पूरा मामला?

यह घोटाला 1998 में आईआरडीपी (Integrated Rural Development Programme) बीमा योजना के तहत हुआ था। इसमें सीहोर, शाजापुर और राजगढ़ जिलों की जिला सहकारी समितियों में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर बीमा क्लेम की राशि हड़प ली गई। इस घोटाले में बैंक और सहकारी समितियों के अधिकारियों समेत 6 सोसाइटी, 5 सरपंच और एक आदिम जाति कल्याण समिति का अध्यक्ष भी शामिल था।

कैसे हुआ खुलासा?

घोटाले की पहली शिकायत सारंगपुर थाने में दर्ज कराई गई थी।बाद में जांच की जिम्मेदारी आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) को सौंप दी गई।1485 खातों की जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई।इसमें एलआईसी (LIC) और सेंट्रल बैंक को नोडल एजेंसी बनाया गया था।

कोर्ट का फैसला – दोषियों को कड़ी सजा

39 आरोपियों को दोषी करार दिया गया।

28 दोषियों को सीधे जेल भेज दिया गया।

9 आरोपियों की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी थी।

1 आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।

अदालत ने धारा 409 (अमानत में खयानत), धारा 420 (धोखाधड़ी) और धारा 34 (साझा आपराधिक कृत्य) के तहत यह सजा सुनाई।

इतने वर्षों तक क्यों लंबित रहा मामला?

जांच में देरी, दस्तावेजों के सत्यापन में लंबा समय और कानूनी प्रक्रियाओं में जटिलता इस मामले के विलंबित होने की मुख्य वजहें थीं।27 साल बाद इस घोटाले का फैसला आना, न्याय प्रक्रिया की धीमी गति को भी दर्शाता है।

अब क्या होगा?

सीहोर जिले के सहकारी बैंक और समितियों में बड़ा बदलाव हो सकता है।सरकार और प्रशासन पर पारदर्शिता बढ़ाने का दबाव रहेगा।इस फैसले के बाद, अन्य लंबित आर्थिक घोटालों पर भी तेजी से कार्रवाई हो सकती है।सीहोर बीमा घोटाले ने प्रदेश के सहकारी तंत्र की बड़ी खामियों को उजागर किया। हालांकि 27 साल बाद न्याय मिला, लेकिन इस घटना ने दिखाया कि कैसे सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार किया जाता है। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी पर सख्त अंकुश लगाया जाएगा।

Pooja upadhyay
Author: Pooja upadhyay

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