उज्जैन में 12 साल में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले की जमीन पर अतिक्रमण का मामला लगातार चर्चा में है। आगामी 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ के लिए तैयारियों से पहले जमीनों पर बढ़ते अवैध कब्जों ने धार्मिक, प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
बीजेपी विधायक ने जताई चिंता
उज्जैन के बीजेपी विधायक चिंतामणि मालवीय ने इस विषय पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा, “सिंहस्थ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह लाखों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। क्षिप्रा नदी के किनारे आयोजित होने वाले इस मेले की जमीन पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है, जो अत्यंत चिंताजनक है। सरकार को इस दिशा में सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए और उन लोगों की पहचान करनी चाहिए, जो इस जमीन को हड़प रहे हैं।”
कांग्रेस का आरोप और सवाल
कांग्रेस विधायक राम सिया भारती ने इस मामले में सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि “यह एक संवेदनशील मुद्दा है, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया है। सिंहस्थ जैसे आयोजन की जमीन पर यदि कब्जे होंगे, तो यह हिंदुओं की आस्था पर आघात है। सरकार को इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।”
पिछले महीनों की कार्रवाई
अक्टूबर 2024 में प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई की थी। मदीना कॉलोनी क्षेत्र में 3 हेक्टेयर जमीन को मुक्त कराया गया, जिसमें 80 मकान और 10 गोदाम गिराए गए थे। यह जमीन सिंहस्थ मेले के लिए आरक्षित थी, जिसे अवैध रूप से कब्जा किया गया था।
2028 में होना है सिंहस्थ
सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन उज्जैन की पवित्र क्षिप्रा नदी के किनारे 2028 में होना है। लाखों भक्त और संत इस आयोजन में भाग लेते हैं। ऐसे में जमीन पर अतिक्रमण न केवल धार्मिक आयोजन में बाधा डालेगा, बल्कि क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक गरिमा को भी ठेस पहुंचाएगा।
प्रशासन का पक्ष
प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई तेज करने का आश्वासन दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, सिंहस्थ मेले के आयोजन के लिए आरक्षित सभी जमीनों को चिन्हित कर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
हिंदुओं की आस्था का केंद्र
उज्जैन का सिंहस्थ कुंभ लाखों श्रद्धालुओं के लिए पवित्रता और आस्था का प्रतीक है। प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी है कि इस आयोजन की तैयारियों में कोई बाधा न आए। अतिक्रमण हटाने और भूमि की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाया जाना आवश्यक है।
निष्कर्ष-सिंहस्थ की जमीन पर बढ़ते अतिक्रमण का मुद्दा उज्जैन में बड़ा राजनीतिक और धार्मिक विषय बन गया है। स्थानीय लोग, राजनेता और धार्मिक संगठनों ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि 2028 में सिंहस्थ का आयोजन निर्विघ्न हो सके।