‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद आतंकी ठिकानों पर सटीक और सशक्त सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के सरगनाओं हाफिज सईद और मसूद अजहर के ठिकाने भी ध्वस्त किए गए। भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त योजना के तहत मुजफ्फराबाद, बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट और कोटली समेत कुल नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।
नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने इस ऑपरेशन की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह विदेश सचिव विक्रम मिस्री कार्रवाई 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए वीभत्स आतंकी हमले के बाद की गई, जिसमें 25 भारतीय और एक विदेशी नागरिक की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस हमले में पर्यटकों को उनके परिवारों के सामने गोली मार दी गई और यह जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल होने की प्रक्रिया को बाधित करने की साजिश थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि इन आतंकियों को पाकिस्तान से प्रशिक्षण दिया गया था और उन्होंने लश्कर से जुड़े प्रतिबंधित संगठन ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ के नाम पर इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। भारत ने संयुक्त राष्ट्र को पहले ही इस संगठन की भूमिका और संबंधों से अवगत करा दिया था।
विक्रम मिस्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत ने यह जवाबी कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप, आत्मरक्षा और आतंकवाद को रोकने के अपने अधिकार के तहत की है। उन्होंने कहा कि यह हमला पाकिस्तान की धरती से भारत में आतंक फैलाने की उसकी लंबी इतिहास का हिस्सा है, और अब भारत आतंक के अड्डों को निष्क्रिय करने के लिए संकल्पित है।
