महेश्वर : महेश्वर के ऐतिहासिक किले में तीन दिवसीय रिवर फेस्टिवल का गुरुवार को शानदार आगाज हुआ। पहले दिन गजल गायक जितेंद्र जामवाल की प्रस्तुति ने समां बांध दिया। उनकी गज़ल “रंजिश हो सही दिल दुखाने ही आ जा” और “चुपके-चुपके रात दिन आंसु बहाना याद है” ने श्रोताओं का दिल छू लिया। उन्होंने गज़ल के महत्व को समझाते हुए कहा कि आजकल गज़ल को लेकर जो समर्पण और मेहनत पहले हुआ करती थी, वह बहुत मिस करते हैं। गज़ल हमेशा एक संदेश देती है और इसके साथ श्रोताओं को एक विशेष अनुभव मिलता है।
फेस्टिवल के दूसरे दिन गुरु ज्योत्सना सोहनी की शिष्यों ने किले में स्थित नक्काशीदार अप्सराओं को कथक की प्रस्तुति में जीवंत कर दिया। शिष्यों ने ठुकरा, तोरा, परण और परहंत की सुंदर प्रस्तुति दी। शुरुआत शिव स्तुति “शंकर महादेव देव जय जय गिरजा पति” से हुई, जो बहुत ही प्रभावशाली थी। इस कार्यक्रम में किले को दीपों और फूलों से सजाया गया था, जिससे यह और भी आकर्षक लग रहा था। इस आयोजन में कई देशों जैसे पुर्तगाल, अमेरिका, स्वीडन, जापान, इंग्लैंड के दर्शक भी शामिल हुए थे।
कथक की प्रस्तुति के दौरान पर्णिका बोड़स, प्राजक्ता दातार और प्रेशियस पाटीदार ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। संगीतकारों में संगीता अग्निहोत्री (तबला), स्मित वाचपाई (सितार), अभय मनके (गायन) और रचना शर्मा (हारमोनियम) शामिल थे। गुरु ज्योत्सना सोहनी ने बताया कि कथक हर नृत्यांगना को सीखना चाहिए, क्योंकि यह शास्त्रीय संगीत और तकनीकी विद्या पर आधारित है। यह कलाकार विभिन्न मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
