12 फरवरी 2025: माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर महाकुंभ में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। संगम के 44 घाटों पर लाखों श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। हर-हर गंगे, हर-हर महादेव के जयघोष के बीच संगम तट पर भक्तों की अपार भीड़ उमड़ी हुई है। प्रशासन के अनुमान के मुताबिक, आज करीब 2.5 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे।
श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा
श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति को सम्मान देने के लिए प्रशासन ने हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा का आयोजन किया। जब भक्त संगम में स्नान कर रहे थे, तब आसमान से गुलाब और गेंदे के फूलों की बारिश की गई, जिससे माहौल भक्तिमय हो उठा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सतत निगरानी
महाकुंभ की व्यवस्थाओं को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ व्यक्तिगत रूप से निगरानी कर रहे हैं। वह सुबह 4 बजे से ही वार रूम से सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि किसी भी श्रद्धालु को असुविधा न हो और स्नान स्थल पर चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे।
भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए 15 जिलों के डीएम, 20 आईएएस और 85 पीसीएस अधिकारी ड्यूटी पर तैनात किए गए हैं। पुलिस प्रशासन भी सतर्क है और पार्किंग से लेकर यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं। संगम क्षेत्र में किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो, इसके लिए पुलिस बल अतिरिक्त रूप से तैनात किया गया है।
शुभ मुहूर्त में स्नान का विशेष महत्व
मंगलवार शाम 6:30 बजे से शुरू हुआ माघ पूर्णिमा स्नान बुधवार शाम 6:30 बजे तक चलेगा। इस दौरान देश-विदेश से आए श्रद्धालु पवित्र स्नान कर रहे हैं और मां गंगा, यमुना और सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।
सीएम योगी ने दी शुभकामनाएं
सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों और श्रद्धालुओं को माघ पूर्णिमा स्नान पर्व की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “महाकुंभ-2025 में त्रिवेणी संगम पर पुण्य स्नान करने वाले सभी श्रद्धालुओं, साधु-संतों और कल्पवासियों को हार्दिक अभिनंदन! माँ गंगा, यमुना और सरस्वती सभी के मनोरथ पूर्ण करें, यही कामना है।”महाकुंभ 2025 का यह महास्नान न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। संगम नगरी में श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्म का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। प्रशासन की चुस्त व्यवस्था और भक्तों की अटूट आस्था के बीच यह स्नान पर्व ऐतिहासिक बन गया है।
