महाकाल की नगरी में आस्था का स्वर्णिम प्रभात, उज्जैन बना भारत का नया धार्मिक टूरिज्म हब

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मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक राजधानी उज्जैन अब केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि भारत का प्रमुख आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र बन चुकी है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और ओंकारेश्वर जैसे दिव्य तीर्थों ने न केवल श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को भी आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया है।

हाल ही में महाकाल मंदिर के शिखर पर 12 किलो वजनी स्वर्ण ध्वज की स्थापना की गई, जो सम्राट विक्रमादित्य के काल से चली आ रही परंपरा का जीवंत प्रतीक है। नंदी की आकृति से सुसज्जित यह ध्वज न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि उज्जैन के गौरव और आध्यात्मिक वैभव का परिचायक भी है।

महाकाल महालोक के निर्माण, सड़क चौड़ीकरण, हेलीपैड, आईटी पार्क और आने वाले समय में एयरपोर्ट जैसी परियोजनाएं उज्जैन को एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कर रही हैं। सिंहस्थ-2028 को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा सुरक्षा, तकनीकी टूरिज्म और पर्यटक सुविधा केंद्रों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि धार्मिक पर्यटन से न केवल होटल और ट्रांसपोर्ट क्षेत्र को बढ़ावा मिलता है, बल्कि स्थानीय हस्तशिल्प, लोक कला, खानपान और संगीत को भी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलती है। यदि उज्जैन और ओंकारेश्वर के मॉडल को महेश्वर, चित्रकूट और अमरकंटक जैसे स्थलों पर लागू किया जाए, तो मध्यप्रदेश देश के शीर्ष पर्यटन राज्यों में शामिल हो सकता है।

महाकाल मंदिर का यह स्वर्ण ध्वज उज्जैन के नवजागरण और धार्मिक चेतना के स्वर्ण युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया है।

Pooja upadhyay
Author: Pooja upadhyay

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