मनावर -वार्षिक मेले में स्वच्छता और सुरक्षा को लेकर वार्ड पार्षद ने की नाराजगी जाहिर..

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वार्षिक मेले में स्वच्छता और सुरक्षा को लेकर वार्ड पार्षद ने की नाराजगी जाहिर..

लापरवाही के लगाए गंभीर आरोप

मनावर : (शाहनवाज शेख) नगर में जिस तरह से वार्षिक मेले का आयोजन मेला मैदान स्थित किया जाता है इसकी शुरुआत नगर भ्रमण ढोल-बैंड बाजा बजाते हुए हर्ष उल्लास के साथ की जाती है, इस मेले में स्वच्छता और सुरक्षा को लेकर देखा जाए तो जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है। सबसे पहले हम बात करते हैं वार्ड के पार्षद रूपेश नेता द्वारा जाहिर की गई नाराजगी को लेकर क्या मामला है… आपको बता दे की स्वच्छता को लेकर शासन प्रशासन प्रदेश और देशभर में गंभीरता से हजारों करोड रुपए का फंड और जनहित में सुरक्षा को लेकर विभिन्न नियम भी लागू करते हैं लेकिन इस मेले में ना ही स्वच्छता की ओर ध्यान दिया जा रहा है और ना सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम किए गए हैं जिसको लेकर पिछ्ले अंकों में भी कई खबरें प्रकाशित की गई थी।

ऊपर दिए गए चित्र में आप देख रहे हैं कि किस तरह मेले में प्रतिदिन निकलने वाला कचरा कूड़ा मेले की सीमा में ही फेंका जा रहा है और उस प्लास्टिक पेपर जैसे कचरे को गाय बेल खाने को मजबूर है जिसको देखकर वार्ड पार्षद भावुक हो गए और उन्होंने एक वीडियो वायरल कर दिया, जिसमें वह बता रहे हैं कि किस तरह से नगरपालिका द्वारा लापरवाही बरतते हुए स्वच्छता को तार-तार किया जा रहा है। वार्ड पार्षद ने सीएमओ, नपा अध्यक्ष और कर्मचारियों पर उंगली उठाते हुए कहा कि सरकार द्वारा बेहिसाब फंड स्वच्छता को लेकर जारी किया जाता है लेकिन जमीन पर उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है, इस समय हमारी गाय माता इस कचरे को खाने को मजबूर है जिससे वह बीमार हो सकती है यह देखकर मन दुखी हो रहा है।

भगवान भरोसे संचालित किए जाएंगे झूले?

आपको बता दे की उपरोक्त मेले में विभिन्न प्रकार की खान-पान और रंगारंग आकर्षित वस्तुओं को बेचने के लिए दुकान निर्धारित की गई है साथ ही प्रतिदिन मेले में आवागमन करने वाले हजार क्षेत्रवासियों के लिए बड़े-बड़े विशालकाय झूले भी स्थापित किए गए हैं लेकिन आमजन की सुरक्षा को लेकर देखा जाए तो यह सभी झूले संचालित करने में सुरक्षा के कोई इंतेज़ाम नहीं है? हम बिंदुवार तरीके से आपको बताते हैं कि सुरक्षा को लेकर कितने लापरवाही दिखाई दे रही है।


1, कम जगह में अधिक झूलों की स्थापना : आपको बता दे की मेला मैदान स्थित वार्षिक मेले में बहुत ही कम जगह में अधिक झूले की स्थापना कर दी गई है भले झूला संचालको को इससे आर्थिक लाभ मिल रहा होगा, लेकिन आमजन के लिए यह डेंजर जोन साबित हो रहा है। एक दूसरे से सटे झूलों के बीच में 10 फीट की भी गैप नहीं दिखाई दे रही जो नियम के विरुद्ध है।

2, परीक्षण और उपयुक्तता प्रमाण पत्र : बड़े झूलों को फिटिंग करने के बाद बिजली विभाग और पीडब्ल्यूडी द्वारा परीक्षण किया जाकर उपयुक्तता प्रमाण पत्र प्राप्त करना जरूरी है जिससे संबंधित विभागों के इंजीनियर यह देख सके की झूलों की फिटिंग आमजन के उपयोग करने हेतु योग्य है या नहीं और किसी प्रकार की दुर्घटना का भय ना रहे।

3, सुरक्षा के इंतजाम : झूला संचालकों द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम हो, जैसे सांकेतिक बोर्ड, अग्निशामक यंत्र, झूलों में उपयोग किए गए एंगल, पाइप, नट-बोल्ट और अन्य उपयोगी वस्तुओं की मजबूती और रूपरेखा देखी जाए

4, खानपान की दुकानो की गुणवत्ता : इसके अतिरिक्त मेले में खानपान की दुकानों की भी सुरक्षा प्रमाण पत्र होना जरूरी रहता है क्योंकि आमजन जिस पदार्थ को खा रहे हैं उनकी गुणवत्ता को लेकर जांच भी अति आवश्यक होती है। अब सवाल यह उड़ता है कि क्या इन सभी नियमों को देखकर मेला और झूला संचालित हो रहा है या सुरक्षा और सुरक्षा को लेकर अनदेखी की जा रही है। अब यह सवाल प्रश्न चिन्ह बनकर खड़ा है।

5, क्षतिग्रस्त पानी की टंकी : मेले में दुकान संचालकों और आमजन की सुरक्षा को लेकर सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि मेला मैदान स्थित वर्षों पुरानी एक पानी की बड़ी टंकी है, जिसके आसपास भी आम दिनों में लोगों को जाने के लिए मना किया जाता है उस टंकी के समीप बड़े-बड़े झूले संचालित किया जाएंगे, जबकि टंकी क्षतिग्रस्त होकर कभी भी टूट कर गिर सकती है? अगर ऐसे में झूलों के कंपन से क्षतिग्रस्त टंकी का पुराना कंट्रेक्शन टूट जाता है तो सैकड़ो या हजारों लोगों की जान खतरे में पढ़ सकती है यह सब देखते हुए भी पहले टंकी को डिस्पोजल किया जाना था जिसके बाद मेला संचालन होता है, लेकिन मेले में चारों तरफ लापरवाही ही लापरवाही नजर आ रही है। इस सभी प्रश्नों की जानकारी के लिए हमने नगर पालिका इंजीनियर रेखा मंडलोई को फोन भी किया परंतु उन्होंने कॉल उठाना ठीक नहीं समझा।

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