मध्य प्रदेश में निजी बसों के अस्थायी परमिट जारी करने की प्रक्रिया अब फिर से शुरू हो गई है, और इसकी शुरुआत भोपाल से हुई है। यह कदम उस समय उठाया गया है जब निजी बस संचालकों ने पिछले महीने भोपाल में हड़ताल कर विरोध प्रदर्शन किया था। उच्च न्यायालय की रोक के बाद एक जनवरी 2025 से अस्थायी परमिट जारी नहीं हो रहे थे, जिससे प्रदेश भर में करीब 4000 बसों की सेवाएं ठप हो गई थीं।
भोपाल के प्रभारी आरटीओ, जितेंद्र शर्मा ने कहा कि कुछ बस मालिकों को नियमानुसार अस्थायी परमिट जारी किए गए हैं। इसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी अस्थायी परमिट जारी किए जाएंगे।
उच्च न्यायालय ने ग्वालियर खंडपीठ के आदेश से अस्थायी परमिटों की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी, और यह कहा था कि इन परमिटों को केवल संभागीय परिवहन उपायुक्त ही जारी कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, कई मार्गों पर बसों की कमी हो गई थी, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
अब, परिवहन आयुक्त के निर्देशों के तहत भोपाल में कुछ परमिट जारी किए गए हैं और जल्दी ही अन्य जिलों में भी यह प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इससे करीब 25 प्रतिशत अस्थायी परमिट वाली बसों की सेवाएं फिर से शुरू हो सकती हैं। मध्य प्रदेश प्राइम रूट बस एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया कि राज्य में 37,000 से ज्यादा यात्री बसें हैं, जिनमें से 13,000 बसों को अस्थायी परमिट पर चलाया जाता है।
इस अस्थायी परमिट का शुल्क प्रति सीट, प्रति किलोमीटर 200 रुपये होता है, जिससे एक बस का मासिक शुल्क 24,000 से 30,000 रुपये तक हो सकता है।