मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में ई-कैबिनेट बैठक शुरू करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिससे यह उत्तराखंड के बाद देश का दूसरा राज्य बन जाएगा जहां यह पेपरलेस व्यवस्था लागू की जा रही है। इस व्यवस्था का उद्देश्य प्रशासन में दक्षता, पारदर्शिता और त्वरित निर्णय प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है।ई-कैबिनेट प्रणाली के तहत सभी मंत्रियों को ऑनलाइन प्रस्ताव भेजे जाएंगे और संबंधित दस्तावेज़ों का आदान-प्रदान भी डिजिटल रूप से किया जाएगा। भारत सरकार के राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC) द्वारा बनाए गए पोर्टल का उपयोग इसके लिए किया जाएगा, और इसके संचालन के लिए अधिकारियों को दिसंबर 2024 में प्रशिक्षण भी दिया गया था।
ई-फाइलिंग प्रणाली की सफलता और आगामी बदलाव
ई-कैबिनेट प्रणाली के अंतर्गत मंत्रालयों में पहले ही ई-फाइलिंग प्रणाली को लागू किया जा चुका है, जिसमें वित्त, सहकारिता और अन्य विभाग शामिल हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय में भी इस प्रणाली पर काम शुरू हो चुका है। शुरुआत में कुछ दस्तावेज़ भौतिक रूप से भी रहेंगे, लेकिन धीरे-धीरे इसे पूरी तरह से डिजिटल कर दिया जाएगा।
वर्चुअल भागीदारी की सुविधा और अन्य लाभ
इस व्यवस्था का एक प्रमुख लाभ यह है कि यदि कोई मंत्री किसी कारणवश बैठक में शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो पाता, तो वह वर्चुअली जुड़ने में सक्षम होगा। इसके अलावा, मंत्रियों को टैबलेट दिए जाएंगे, जिससे वे कहीं से भी बैठक में शामिल हो सकेंगे और प्रस्तावों को ऑनलाइन देख तथा अनुमोदित कर सकेंगे।इस पहल से राज्य प्रशासन को और अधिक पारदर्शी, त्वरित और सुगम बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जो राज्य के सरकारी कामकाज को नई दिशा देगा।