मध्य प्रदेश में शहरीकरण को बढ़ावा देने के तहत कई शहरों का विस्तार किया जा रहा है। इसी कड़ी में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के भिंड को नए महानगर के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है। इस योजना के तहत 38 गांवों को मिलाकर भिंड को नगर निगम का दर्जा दिया जाएगा।
गजट नोटिफिकेशन जारी, लेकिन सीमांकन प्रक्रिया अधूरी
7 अक्टूबर 2023 को भिंड को नगर निगम बनाने का गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था। हालांकि, शामिल गांवों का सीमांकन अब तक पूरा नहीं हो पाया है। 24 पंचायतों के अंतर्गत आने वाले इन गांवों का सीमांकन करने के लिए नगर पालिका, राजस्व, डूडा, और भू-अभिलेख शाखा के बीच पत्राचार चल रहा है। सीमांकन न होने के कारण नगर निगम के तहत विकास कार्यों की प्रक्रिया अटक गई है।
पंजीयन विभाग वसूल रहा अतिरिक्त शुल्क
गजट नोटिफिकेशन के बाद इन गांवों में जमीन या संपत्ति खरीदने पर नगर निगम क्षेत्र के अनुसार स्टांप शुल्क लिया जा रहा है। इससे इन गांवों में 3% अतिरिक्त शुल्क लग रहा है। पंजीयन विभाग के मुताबिक, जैसे ही गजट नोटिफिकेशन जारी होता है, नगरीय क्षेत्र की ड्यूटी लागू हो जाती है, और यह शुल्क नगर निगम को दिया जाता है।
प्रमुख गांव और उनकी स्थिति
नगर निगम में शामिल किए गए प्रमुख गांवों में दबोहा (337.31 हेक्टेयर), डिड़ी (1673.522 हेक्टेयर), अतरसूमा (356.749 हेक्टेयर), और अन्य 34 गांव शामिल हैं। इन सभी गांवों को निगम क्षेत्र में शामिल करने के बाद इनके विकास की नई योजनाएं तैयार की जा रही हैं।
विकास की संभावनाएं और चुनौतियां
नगर निगम बनने के बाद भिंड में बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास होगा। सड़कें, सीवेज, और शहरी सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। हालांकि, सीमांकन प्रक्रिया में हो रही देरी विकास कार्यों में बाधा बन रही है।
भविष्य की राह
भिंड को नगर निगम का दर्जा मिलना एक सकारात्मक कदम है। यह पहल आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास की नई संभावनाएं लेकर आएगी। सीमांकन प्रक्रिया जल्द पूरी होने के बाद, इन गांवों में योजनाबद्ध तरीके से शहरी विकास कार्य शुरू होने की उम्मीद है।