सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: सजा पूरी होने के बाद भी 4.7 साल जेल में बंद रहा कैदी, अब मिलेगा 25 लाख मुआवज़ा
भोपाल।मध्य प्रदेश से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह एक कैदी को 25 लाख रुपये का मुआवज़ा दे, जिसे उसकी निर्धारित सज़ा पूरी होने के बाद भी करीब 4.7 साल तक जेल में बंद रखा गया।
क्या है पूरा मामला?
सागर जिले के खुरई क्षेत्र का निवासी सोहन सिंह उर्फ बबलू वर्ष 2005 में एक आपराधिक मामले में दोषी पाया गया था। निचली अदालत ने उसे बलात्कार, घर में घुसपैठ और धमकी देने जैसे गंभीर आरोपों में उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी।
बाद में वर्ष 2017 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केस की खामियों को देखते हुए उसकी सज़ा घटाकर केवल 7 साल कर दी। यानि, नियम के अनुसार उसे उसी समय जेल से रिहा हो जाना चाहिए था।
फिर भी 2025 तक रहा कैद में
हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद प्रशासनिक लापरवाही के चलते सोहन सिंह को समय पर रिहा नहीं किया गया। वह 6 जून 2025 तक जेल में ही बंद रहा। यानी उसे अपनी सज़ा पूरी होने के बाद भी लगभग 4 साल 7 महीने अतिरिक्त कैद झेलनी पड़ी।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को “मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन” बताया और कहा कि यह किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वीकार्य नहीं हो सकता। अदालत ने इसे कैदी के मौलिक अधिकारों का सीधा हनन माना।
कोर्ट ने न केवल पीड़ित को मुआवज़ा देने का आदेश दिया, बल्कि मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह राज्य की सभी जेलों का सर्वे करे और सुनिश्चित करे कि कहीं और कोई कैदी सज़ा से ज़्यादा समय तक जेल में न रखा जाए।
बड़ा सवाल – जिम्मेदारी किसकी?
यह मामला एक गंभीर सवाल खड़ा करता है कि आखिर अदालत के आदेश के बावजूद किसी कैदी को इतने साल तक जेल में रखने की जिम्मेदारी किसकी है? सुप्रीम कोर्ट ने इस पर भी राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।