मध्यप्रदेश में भाजपा के संगठनात्मक चुनाव का रास्ता अब साफ हो चुका है। पार्टी ने अब तक 47 जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि दो तिहाई से अधिक जिलों में नए जिलाध्यक्ष नियुक्त किए जा चुके हैं। इस क्रम में बुधवार को 15 जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा की गई है। इसके बाद, प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है, और माना जा रहा है कि अब बाकी जिलों में भी एक-दो दिनों के भीतर जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा की जाएगी।प्रदेश में कुल 62 जिले हैं, जिसमें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अब तक प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर कोई पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि, यह संभावना जताई जा रही है कि प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सामान्य या आदिवासी वर्ग से कोई नेता चुना जा सकता है। इस संदर्भ में चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान 20 जनवरी के बाद भोपाल का दौरा कर सकते हैं, जिससे प्रदेश अध्यक्ष के चयन का मार्ग और स्पष्ट हो सकेगा।
जिलाध्यक्षों की घोषणा और रणनीतिक निर्णय
मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिले मंडला में पार्टी ने गैर आदिवासी नेता प्रफुल्ल मिश्रा को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है, जबकि आदिवासी बहुल झाबुआ में भानू भूरिया को पुनः जिलाध्यक्ष के रूप में चुना गया है। भिंड जिले में देवेंद्र नरवरिया को फिर से जिम्मेदारी दी गई है। कुछ जिलों में महिला जिलाध्यक्षों की भी नियुक्ति की गई है, जैसे कि नर्मदापुरम में प्रीति शुक्ला और सिवनी में मीना बिसेन।इसके अलावा, पार्टी के अंदर प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए विभिन्न वर्गों से दावेदार सामने आ रहे हैं। पार्टी के भीतर चर्चा है कि ओबीसी वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने की संभावना हो सकती है, और इस संदर्भ में राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार का नाम सामने आया था। पाटीदार के चयन से न केवल महिला नेतृत्व का मुद्दा पूरा हो जाएगा, बल्कि ओबीसी वर्ग को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा।
विभिन्न वर्गों से दावेदारों का नाम
प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए कई अन्य नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं। क्षत्रिय वर्ग से पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया और बृजेंद्र प्रताप सिंह का नाम सामने आया है। भदौरिया को संगठनात्मक क्षमता का नेता माना जाता है और उन्हें पार्टी ने पहले प्रदेश सदस्यता प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी दी थी।ब्राह्मण वर्ग से डॉ. नरोत्तम मिश्रा का नाम भी प्रमुख दावेदार के रूप में उभरकर सामने आया है। मिश्रा को पार्टी के कई बड़े नेताओं का समर्थन प्राप्त है। इसके अलावा, आदिवासी नेतृत्व के तहत गजेंद्र सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम भी चर्चा में है। कुलस्ते का नाम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे मोदी कैबिनेट में मंत्री नहीं बनाए गए थे, और भाजपा उन्हें मध्यप्रदेश में अध्यक्ष बनाकर सम्मानित कर सकती है।
आदिवासी वर्ग की भूमिका
मध्यप्रदेश में आदिवासी वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका है, खासकर विधानसभा और लोकसभा चुनावों में। आदिवासी वर्ग के समर्थन के बिना भाजपा के लिए सत्ता में आना मुश्किल हो सकता है, और इसलिए पार्टी इस वर्ग के नेतृत्व को भी प्राथमिकता दे सकती है। हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को आदिवासी वर्ग से कुछ समस्याएं रही हैं, और इसी कारण पार्टी आदिवासी वर्ग से मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता महसूस कर रही है।
विष्णु दत्त शर्मा का कार्यकाल
मध्यप्रदेश भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कार्यकाल अब समाप्त होने जा रहा है। उनके नेतृत्व में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता प्राप्त की थी और लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने सभी 29 सीटों पर जीत हासिल की थी। शर्मा के नेतृत्व में पार्टी को महत्वपूर्ण चुनावी सफलता मिली, लेकिन अब पार्टी एक नए प्रदेश अध्यक्ष की दिशा में कदम बढ़ा रही है।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के चयन के लिए विभिन्न वर्गों और नेताओं के नामों की चर्चा के बीच, यह देखा जाएगा कि पार्टी केंद्रीय नेतृत्व किस वर्ग या नेता को चुनेगी। आगामी चुनावों और संगठनात्मक फैसलों के संदर्भ में भाजपा की यह रणनीति मध्यप्रदेश में आगामी राजनीतिक परिदृश्य को आकार दे सकती है।