मध्यप्रदेश के सीधी जिले में पंचायत-ग्रामीण विकास विभाग के तहत गोपालदास बांध के जीर्णोद्धार के भूमि पूजन कार्यक्रम में एक बड़ी चूक सामने आई। प्रदेश की पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राधा सिंह को न तो कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया और न ही कार्यक्रम स्थल या आमंत्रण पत्र में उनकी तस्वीर शामिल की गई। इस मामले ने न केवल राजनीति में हलचल मचाई है, बल्कि मंत्री राधा सिंह के दर्द को भी उजागर किया है।
कार्यक्रम में मंत्री की अनुपस्थिति पर सवाल
गोपालदास बांध के गहरीकरण, नवीनीकरण और मार्ग चौड़ीकरण के लिए लगभग 3 करोड़ रुपये की लागत से यह परियोजना शुरू की गई है। यह कार्यक्रम मंगलवार शाम को आयोजित हुआ, जिसमें विधायक रीति पाठक, जिला पंचायत अध्यक्ष और अन्य जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। लेकिन मंत्री राधा सिंह की अनुपस्थिति और उनकी तस्वीरों का न होना, उनके विभागीय कार्यक्रम में ही, कई सवाल खड़े करता है।
कांग्रेस का भाजपा पर आरोप
कांग्रेस ने इसे आदिवासी समुदाय के साथ भेदभाव करार दिया है। महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष कमलेश सिंह ने सोशल मीडिया पर इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे “गलत परंपरा” कहा। कांग्रेस के सीधी जिला अध्यक्ष ज्ञान सिंह ने कहा कि भाजपा का यह रवैया आदिवासियों के प्रति उनकी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग भी की।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला पंचायत सीईओ अंशुमान राज ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि हर जनप्रतिनिधि का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में सभी जनप्रतिनिधियों को कार्यक्रमों में अनिवार्य रूप से आमंत्रित किया जाएगा।
राजनीतिक और सामाजिक संदेश
यह घटना न केवल राजनीतिक विवाद का कारण बनी है, बल्कि यह प्रश्न भी उठाती है कि क्या जनप्रतिनिधियों, विशेष रूप से आदिवासी समुदाय से जुड़े नेताओं, को उनके पद के अनुरूप सम्मान मिल रहा है। मंत्री राधा सिंह का इस तरह से उपेक्षित होना एक गंभीर मुद्दा है, जो राज्य की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाता है।आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या आदिवासी नेताओं के सम्मान की रक्षा के लिए कोई ठोस कार्रवाई होती है।