मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया ने शिक्षा क्षेत्र में गहन चर्चा और विवाद को जन्म दिया है। राज्य के 666 नर्सिंग कॉलेजों में से केवल 294 को मान्यता दी गई है। इस प्रक्रिया में केवल उन्हीं कॉलेजों को चुना गया जो सीबीआई की विस्तृत जांच और हाईकोर्ट की निगरानी समिति की कसौटी पर खरे उतरे हैं।
मुख्य विवरण
1. *कॉलेजों की मान्यता:*
– *GNM (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफ़री):* 138 कॉलेज
– *B.Sc. नर्सिंग:* 156 कॉलेज
2. *सीटों की उपलब्धता:*
– *GNM नर्सिंग:* कुल 6816 सीटें
– *B.Sc. नर्सिंग:* कुल 7864 सीटें
कोर्स की जानकारी:
– *GNM (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफ़री):*
यह तीन साल का डिप्लोमा प्रोग्राम है, जिसमें छह महीने की इंटर्नशिप भी शामिल है। यह कोर्स सामान्य और मातृत्व नर्सिंग में विशेषज्ञता देता है।
– *B.Sc. नर्सिंग:*
यह चार साल का स्नातक कोर्स है, जो छात्रों को मेडिकल क्षेत्र में नर्सिंग प्रबंधन और उन्नत कौशल प्रदान करता है।
छात्रों की समस्याएं और सरकार पर आरोप:
1. *सत्र में देरी:*
NSUI (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के उपाध्यक्ष रवि परमार ने सरकार पर आरोप लगाया कि सत्र 2024-25 की मान्यता जनवरी 2025 में जारी की गई। सत्र का आधा समय निकल जाने से न केवल छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है, बल्कि इससे उनके करियर पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
2. *फीस संरचना स्पष्ट नहीं:*
फीस निर्धारण को लेकर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। इससे कई कॉलेजों ने छात्रों से मनमानी फीस वसूलनी शुरू कर दी है।
3. *छात्रवृत्ति में लापरवाही:*
पिछले चार वर्षों से नर्सिंग छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिली है। यह छात्रों और उनके परिवारों के लिए आर्थिक संकट का कारण बन रहा है।
4. *पलायन:*
पढ़ाई और भविष्य को लेकर बढ़ती अनिश्चितताओं के कारण हजारों छात्र अन्य राज्यों में दाखिला लेने को मजबूर हो गए हैं।
NSUI की प्रमुख मांगें:
1. *फीस निर्धारण:* सभी कॉलेजों की फीस को नियंत्रित किया जाए और छात्रों के शोषण पर रोक लगाई जाए।
2. *छात्रवृत्ति की बहाली:* लंबित छात्रवृत्तियों को तुरंत जारी किया जाए।
3. *अतिरिक्त कक्षाओं की व्यवस्था:* सत्र में देरी के कारण छात्रों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त पढ़ाई की सुविधा दी जाए।
4. *फर्जी कॉलेजों पर रोक:* यदि किसी फर्जी कॉलेज को मान्यता दी गई तो बड़ा आंदोलन होगा।
सरकार का पक्ष
मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल का कहना है कि मान्यता प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रही। केवल उन कॉलेजों को अनुमति दी गई है जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सक्षम हैं। हालांकि, फीस संरचना और छात्रवृत्ति जैसे मुद्दों पर अभी चर्चा जारी है।
मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने की यह प्रक्रिया शिक्षा क्षेत्र में सुधार की पहल मानी जा सकती है, लेकिन सरकार की देरी और फीस व छात्रवृत्ति पर स्पष्ट दिशा-निर्देशों की कमी ने छात्रों के भविष्य पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। छात्रों और संगठनों द्वारा की गई मांगें इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार को एक नई दिशा प्रदान कर सकती हैं।