मंदसौर में है अष्टमुखी पशुपतिनाथ मंदिर: भगवान शिव के आठ दिव्य रूपों का दर्शन

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मंदसौर का अष्टमुखी पशुपतिनाथ मंदिर हिंदू धर्म और सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम केंद्र है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और अपनी अष्टमुखी मूर्ति के कारण भक्तों की गहरी श्रद्धा और विश्वास का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।

मंदसौर स्थित यह प्राचीन मंदिर शिवना नदी के किनारे पर स्थित है। विशेष रूप से, 19 जून 1940 को इस मंदिर की अष्टमुखी मूर्ति शिवना नदी से प्राप्त की गई थी, जिसे बाद में 1961 में स्वामी प्रत्यक्षानंदजी द्वारा वर्तमान मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया।

काठमांडू के पशुपतिनाथ से मिलता-जुलता रूप

इस मंदिर की अष्टमुखी मूर्ति नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की मूर्ति से मिलती-जुलती है, लेकिन मंदसौर की मूर्ति में आठ मुख होते हैं जबकि काठमांडू की मूर्ति में केवल चार मुख हैं। इस मंदिर का निर्माण पांचवीं शताब्दी में औंलिकर वंश के राजा यशोवर्मन ने कराया था।

मूर्ति की सुरक्षा और नदी में विसर्जन

इतिहास से यह भी पता चलता है कि विदेशी आक्रांताओं के हमलों से बचाने के लिए मंदिर की मूर्ति को शिवना नदी में फेंक दिया गया था, और 1940 में इसे फिर से बाहर निकाला गया।

मूर्ति की विशेषताएँ और दर्शन

मंदिर की वास्तुकला उत्तर भारतीय शैली की है और इसमें खूबसूरत नक्काशी है। गर्भगृह में स्थित अष्टमुखी मूर्ति की ऊँचाई 7.3 फीट है, जिसमें चार मुख ऊपर की ओर और चार नीचे की ओर होते हैं। प्रत्येक मुख जीवन की अलग-अलग अवस्थाओं का प्रतीक है: पूर्व दिशा वाला मुख बाल्यावस्था, पश्चिम दिशा वाला मुख युवावस्था, उत्तर दिशा वाला मुख प्रौढ़ावस्था, और दक्षिण दिशा वाला मुख किशोरावस्था का प्रतीक है।

मेला और प्रमुख अवसर

सावन माह और महाशिवरात्रि पर यहां विशेष मेला लगता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के विभिन्न रूपों का पूजन और रात्रि भर अभिषेक होते हैं। इस अवसर पर मंदिर में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इन त्योहारों के दौरान हजारों भक्त अनुष्ठान और भक्ति में भाग लेते हैं।

मंदसौर तक कैसे पहुंचे

मंदसौर जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डे इंदौर (220 किमी) और उदयपुर (190 किमी) हैं। यहां तक पहुंचने के लिए रेलवे और सड़क मार्ग की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। मंदसौर रेलवे स्टेशन प्रमुख ट्रेनों से जुड़ा हुआ है, जबकि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से सड़क मार्ग द्वारा भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।

इस मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व न केवल स्थानीय भक्तों के लिए, बल्कि पूरे भारत और नेपाल के भक्तों के लिए भी अत्यधिक है।

Soniya upadhyay
Author: Soniya upadhyay

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