मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित हमीदिया अस्पताल में आउटसोर्स कर्मचारियों ने तीन महीने से वेतन न मिलने के कारण मंगलवार सुबह से हड़ताल शुरू कर दी। कर्मचारियों के आंदोलन के चलते मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके बाद गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) की डीन डॉ. कविता कुमार ने आश्वासन दिया कि दो दिनों के भीतर वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा। इस आश्वासन के बाद दोपहर करीब 2 बजे हड़ताल समाप्त हुई।
तनख्वाह न मिलने से बढ़ी परेशानियां
वार्ड बॉय, कंप्यूटर ऑपरेटर और हाउसकीपिंग स्टाफ जैसे कर्मचारी वेतन न मिलने के कारण परिवार का खर्च चलाने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। उनका कहना है कि लगातार अधिकारियों और एजेंसी से शिकायत करने के बावजूद उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। हड़ताली कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द वेतन का भुगतान नहीं हुआ तो वे कलेक्टर ऑफिस तक रैली निकालकर प्रदर्शन करेंगे।
दिवाली के बाद फिर वेतन रुका
कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें दीपावली के समय बड़ी मुश्किल से तीन महीने का वेतन मिला था, लेकिन उसके बाद से दो महीने का भुगतान रोक दिया गया है। महंगाई के इस दौर में जहां उनका वेतन मात्र 8 हजार रुपये है, वहीं बार-बार देरी होने से स्थिति और खराब हो गई है।
वेतन में देरी की वजह
जानकारी के मुताबिक, जीएमसी पर आउटसोर्सिंग एजेंसी *एजाइल कंपनी* का 15 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। कंपनी का कहना है कि जब तक भुगतान नहीं होगा, वह कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ है। हालांकि, दो महीने पहले कर्मचारियों की हड़ताल के बाद 1 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, जिससे सैलरी जारी हो पाई थी।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
1. वेतन हर महीने की 1 से 8 तारीख के बीच दिया जाए।
2. दिवाली का बकाया बोनस जल्द से जल्द जारी किया जाए।
3. डबल ड्यूटी का उचित भुगतान और सरकारी छुट्टियां दी जाएं।
4. सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को जॉइनिंग लेटर प्रदान किया जाए।
मरीजों पर पड़ा असर
हमीदिया अस्पताल में रोजाना 2,500 से अधिक मरीज ओपीडी में इलाज कराने आते हैं और करीब 60 सर्जरी होती हैं। हड़ताल के कारण इन सेवाओं पर बुरा असर पड़ा। मरीजों और उनके परिजनों को लंबा इंतजार करना पड़ा, जिससे अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई।
प्रशासन का भरोसा
हालात बिगड़ते देख जीएमसी की डीन ने कर्मचारियों को भरोसा दिलाया कि वेतन जल्द ही जारी कर दिया जाएगा। इस आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी, लेकिन वेतन के भुगतान पर नजर बनाए रखने का फैसला किया।
इस पूरी स्थिति ने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं और कर्मचारियों के सामने मौजूद गंभीर समस्याओं को उजागर किया है। प्रशासन को जल्द ही स्थायी समाधान के लिए ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी परेशानियां न हों।