मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक सरकारी विभाग के अंतर्गत भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। यहां आयुष विभाग में 60 करोड़ रुपये के टेंडर को दिलवाने के लिए एक महिला कर्मचारी ने एक कंपनी से सवा करोड़ रुपये की रिश्वत ली। जब विभाग ने टेंडर निरस्त कर दिया और कंपनी ने पैसे वापस मांगे, तो महिला कर्मचारी ने रकम लौटाने से इंकार कर दिया।कंपनी के संचालक धर्मवीर सिंह सेंगर ने इस मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई, जिसके बाद बिलखिरिया थाने में महिला कर्मचारी प्रगति श्रीवास्तव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया।
धर्मवीर सिंह सेंगर, जो कि सेंगर सिक्योरिटी सर्विसेज कंपनी के मालिक हैं, ने बताया कि 2023 में आयुष विभाग ने 3500 आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती के लिए 60 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला था। प्रगति श्रीवास्तव ने कंपनी को टेंडर दिलवाने का आश्वासन देते हुए 1.5 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की। इसके बाद धर्मवीर ने 14 अगस्त को 15 लाख रुपये और 11 अक्टूबर को 1 करोड़ 10 लाख रुपये नकद जमा किए।हालांकि, टेंडर प्रक्रिया में विभाग ने चयनित कंपनियों में उनकी कंपनी को नहीं चुना और जनवरी 2024 में टेंडर को निरस्त कर दिया। जब धर्मवीर ने अपने पैसे वापस मांगे, तो प्रगति ने उन्हें लौटाने से इंकार कर दिया और मामले में टालमटोल करती रही।
इससे पहले भी धर्मवीर की कंपनी ने प्रगति श्रीवास्तव से मदद ली थी, जब एक अन्य टेंडर के भुगतान को लेकर उसने तीन लाख रुपये की रिश्वत ली थी। प्रगति के राजनीतिक संपर्क भी बताये जा रहे हैं, जिससे उसे टेंडर प्रक्रिया में दखल देने का मौका मिलता था।अब पुलिस महिला के खिलाफ जांच कर रही है और उसकी राजनीतिक कनेक्शनों की भी छानबीन की जा रही है।