मध्य प्रदेश पुलिस अब पारंपरिक डीजल-पेट्रोल वाहनों की जगह ई-व्हीकल की ओर रुख कर रही है। इस पहल के तहत विशेष सशस्त्र बल एवं पुलिस बल के 52 जवानों को ई-व्हीकल संचालन की बेसिक ट्रेनिंग दी गई है। यह योजना फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पुलिस मुख्यालय (PHQ) और अन्य बड़े शहरों में शुरू की जा रही है। भविष्य में इसकी सफलता के आधार पर इसे जिलों में भी लागू किया जाएगा।
23वीं वाहिनी बनी ई-व्हीकल यूनिट, सिखाई गईं तकनीकी बारीकियां
ई-व्हीकल संचालन के लिए 23वीं वाहिनी को तैयार किया गया है। पुलिसकर्मियों को ई-व्हीकल से जुड़ी तकनीकी जानकारी जैसे चार्जिंग, बैटरी संचालन, रखरखाव आदि की विशेष ट्रेनिंग दी गई है। कमांडेंट कुमार प्रतीक ने बताया कि पुलिस बल को भविष्य में ई-व्हीकल का कुशलतापूर्वक इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
मुख्यालयों से होगी शुरुआत, फील्ड में नहीं अभी संभव
फिलहाल ई-व्हीकल का इस्तेमाल केवल मुख्यालय और बड़े शहरों तक सीमित रहेगा क्योंकि फील्ड ड्यूटी में यह व्यावहारिक रूप से अभी संभव नहीं है। चार्जिंग स्टेशन की कमी, चार्जिंग में लगने वाला समय और तकनीकी सीमाएं इसकी प्रमुख चुनौतियां हैं।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम
इस परियोजना का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना भी है। डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की तुलना में ई-व्हीकल प्रदूषण रहित हैं और इनका रखरखाव भी आसान है। आने वाले समय में यदि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया गया, तो यह योजना पूरे राज्य में लागू की जा सकेगी।
एमपी पुलिस की यह पहल न सिर्फ पर्यावरण हितैषी है, बल्कि आधुनिक तकनीक को अपनाकर पुलिसिंग को अधिक स्मार्ट और प्रभावी बनाने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
