बसंत पंचमी पर भोजशाला में पूजा का आयोजन, राजा भोज से जुड़ी ऐतिहासिक विरासत

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धार – मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला में सोमवार को बसंत पंचमी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। यह स्थल हिंदू और मुस्लिम समुदायों दोनों के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है। हिंदू समुदाय इसे वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे 11वीं सदी की कमाल मौला मस्जिद मानता है। इस मौके पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था भी की गई थी और हिंदू संगठन यहां चार दिवसीय बसंत उत्सव मना रहे हैं।

भोजशाला में राजा भोज ने 1034 में मां वाग्देवी की मूर्ति स्थापित की थी और उसी दिन से यहां सरस्वती जन्मोत्सव मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन के उपलक्ष्य में शोभा यात्रा का आयोजन भी किया गया और मां वाग्देवी की महाआरती की गई। यह उत्सव अब 991वीं बार मनाया गया।

भोजशाला का विवाद सुलझाने के लिए एएसआई ने 2023 में तीन महीने तक वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया, और इस रिपोर्ट को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। पिछले कई वर्षों से यहां हिंदुओं को हर मंगलवार पूजा की अनुमति और मुस्लिमों को शुक्रवार को नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है। हालांकि, ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ संगठन ने इस व्यवस्था को चुनौती दी है।

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