देशभर में बढ़ते बंदर आतंक पर केंद्र की सख्त नजर, राज्यों से मांगे सुझाव — 2022 में हटाई गई थी ‘संरक्षित प्रजाति’ की श्रेणी
देश के कई राज्यों में लाल मुंह वाले बंदरों (Rhesus Macaque) के बढ़ते आतंक से आमजन परेशान हैं। खेतों, घरों और बाजारों में इन बंदरों के हमलों से लोगों को चोटें लगने और जनहानि के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अब इस समस्या को देखते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इन बंदरों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची में दोबारा शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए केंद्र ने सभी राज्यों से सुझाव मांगे हैं ताकि आवश्यक संशोधन कर इन्हें पुनः “संरक्षित प्रजाति” का दर्जा दिया जा सके।
🔹 2022 में बाहर किए गए थे “संरक्षित वन्यजीव” की श्रेणी से
साल 2022 में केंद्र सरकार ने लाल मुंह वाले बंदरों की तेजी से बढ़ती आबादी और मानव बस्तियों में इनके खतरनाक व्यवहार को देखते हुए इन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की सूची से हटा दिया था। उस फैसले के बाद वन विभाग के पास इन बंदरों को पकड़ने या नियंत्रित करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं बचा। नतीजा यह हुआ कि शहरों और गांवों में बंदरों का आतंक बढ़ता चला गया और नागरिक प्रशासन के लिए कार्रवाई करना मुश्किल हो गया।

🔹 राज्यों से लगातार मिल रही हैं शिकायतें
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों से इन बंदरों के हमलों की गंभीर शिकायतें केंद्र तक पहुंच रही हैं। कई जिलों में बंदरों द्वारा बच्चों और बुजुर्गों को घायल करने की घटनाएं सामने आई हैं। इस स्थिति को देखते हुए मंत्रालय ने राज्यों से अनुरोध किया है कि वे सुझाव दें कि क्या इन्हें दोबारा संरक्षण सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
🔹 विशेषज्ञों ने बताई असली वजह
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बंदरों के हिंसक व्यवहार के पीछे मानवजनित कारण हैं। लोग धार्मिक आस्था के नाम पर जंगलों और मंदिरों के आसपास बैठे बंदरों को रोजाना खाने की चीजें खिलाते हैं। डॉ. सुदेश बाघमारे, वन्य प्राणी विशेषज्ञ, का कहना है —
“लोग काले मुंह वाले हनुमान बंदर और लाल मुंह वाले बंदरों में अंतर नहीं कर पाते। श्रद्धा में वे दोनों को ‘हनुमान’ समझकर भोजन दे देते हैं। इसी वजह से लाल मुंह वाले बंदर मनुष्यों के संपर्क के आदी हो गए हैं और आक्रामकता बढ़ी है।”
🔹 मध्य प्रदेश ने दी केंद्र को सहमति
मध्य प्रदेश सरकार ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए केंद्र को सुझाव भेज दिए हैं। सुभरंजन सेन, मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक, मध्य प्रदेश वन विभाग ने कहा —
“भारत सरकार ने लाल मुंह वाले बंदरों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची में शामिल करने के लिए राज्यों से राय मांगी थी। राज्य सरकार की ओर से हमने सहमति के साथ अपने सुझाव भेज दिए हैं।”
🔹 आगे क्या होगा
अब मंत्रालय राज्यों से मिले सुझावों का विश्लेषण कर एक रिपोर्ट तैयार करेगा। यदि अधिकांश राज्य सहमत होते हैं तो वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम में संशोधन कर लाल मुंह वाले बंदरों को पुनः संरक्षित श्रेणी में जोड़ा जाएगा, जिससे वन विभाग को इन पर नियंत्रण के कानूनी अधिकार फिर से मिल जाएंगे।








