भोपाल गैस त्रासदी के बाद वर्षों से जमा यूनियन कार्बाइड (यूका) के 337 टन कचरे को अब पीथमपुर के भस्मक संयंत्र में जलाया जाएगा। इस कचरे को सात चरणों में नष्ट किया जाएगा, जिससे प्रदूषण और पर्यावरणीय प्रभाव को नियंत्रित किया जा सके।
2 जनवरी को यह कचरा पीथमपुर में स्थित भस्मक संयंत्र परिसर में 12 कंटेनरों में लाया गया था। 56 दिन 11 घंटे बाद 27 फरवरी को पांच कंटेनरों से कचरे को बाहर निकाला गया। इसे एचडीपीई बैग में पैक करके बकेट जैसी ट्रॉली में रखा गया और फिर इंसीनरेबल स्टोरेज शेड में रखा गया। 28 फरवरी को भस्मक में कचरा जलाने की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें हर घंटे 135 किलो कचरा नष्ट किया जाएगा और 74 घंटे में 10 टन कचरा पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा।
जलाने की प्रक्रिया के सात चरण:
- प्राथमिक दहन कक्ष (रोटरी किल): तापमान 850-900 डिग्री सेल्सियस, हर दो मिनट में 4.5 किलो कचरा और 4.5 किलो लाइम डाला जाएगा। कचरा जलने के बाद राख नीचे आ जाएगी और गैस अगली चैंबर में जाएगी।
- द्वितीय दहन कक्ष (वर्टिकल सेकेंडरी कंबशन चैंबर): यहां 1100-1200 डिग्री तापमान पर अधजले कणों को जलाया जाएगा। यदि तापमान कम होता है, तो प्रक्रिया रोक दी जाएगी।
- स्प्रे ड्रायर में गैस: गैस को पानी के फव्वारे से ठंडा किया जाएगा ताकि इसका तापमान 240 डिग्री तक लाया जा सके, जिससे हानिकारक तत्वों का निर्माण रोका जा सके।
- मल्टीसाइक्लोन मशीन: गैस को घुमाकर उसमें जमा भारी कणों को अलग किया जाएगा।
- ड्राय स्क्रबर: गैस पर चूना, एक्टिवेटेड कार्बन और सल्फर के मिश्रण का स्प्रे किया जाएगा, जिससे सल्फर डाईऑक्साइड, डाइऑक्सिन और मर्करी अलग हो जाएंगे।
- वेट स्क्रबर: यहां गैस पर कास्टिक सोडा के घोल का स्प्रे किया जाएगा, जिससे एसिटिक तत्वों को न्यूट्रलाइज किया जाएगा।
- चिमनी से गैस को छोड़ा जाएगा: गैस को 35 मीटर ऊंची चिमनी से छोड़ा जाएगा, जिसमें सेंसर लगे होंगे ताकि गैस की गुणवत्ता की निगरानी की जा सके।
वायु गुणवत्ता की निगरानी:
- मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चार एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम वायु गुणवत्ता की जांच करेंगे।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नीरी (नेशनल एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट) और विमटा संस्थान के अधिकारी भी इस प्रक्रिया की निगरानी करेंगे।
कचरे का ट्रायल रन तीन चरणों में होगा:
- 28 फरवरी से शुरू: 74 घंटे में 10 टन कचरा जलाया जाएगा।
- 4 मार्च से शुरू: 55 घंटे में कचरे की मात्रा बढ़ाकर 180 किलो प्रति घंटा की जाएगी।
- 10 मार्च से शुरू: 37 घंटे में कचरे की मात्रा और बढ़ाकर 270 किलो प्रति घंटा की जाएगी।
इस प्रक्रिया के दौरान सभी सुरक्षा और पर्यावरणीय मानकों का पालन किया जाएगा, ताकि इस भस्मक संयंत्र से निकलने वाली गैस पूरी तरह से सुरक्षित हो।
