भोपाल गैस त्रासदी के बाद वर्षों से पड़े यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को नष्ट करने का कार्य अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी, और कचरे को जलाने की अनुमति दी।
सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र ने इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। इससे पहले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट भी तीन चरणों में कचरा जलाने की अनुमति दे चुका था। कचरा पहले ही भोपाल से पीथमपुर में लाया जा चुका था, जहां इसे जलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
पीथमपुर में रि-सस्टेनेबिलिटी कंपनी के परिसर में रखे गए 337 टन कचरे के कंटेनरों में से चार से पांच कंटेनरों को गुरुवार को खोला जाएगा। इन कंटेनरों में से कचरे को बाहर निकाल कर हानिकारक तत्वों से निपटने के लिए रसायन मिलाए जाएंगे। इसके बाद इंसीनरेटर में कचरा जलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसमें पहले चेम्बर का तापमान 850-900 डिग्री सेल्सियस और दूसरे चेम्बर का तापमान 1100-1200 डिग्री सेल्सियस तक पहुँचाया जाएगा।
चिन्मय मिश्र ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि कचरा जलाने से पर्यावरण और स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर हो सकता है, और इसके आस-पास के गांवों में रहने वाले लोग असुरक्षित हो सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब लेते हुए कहा कि सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया जाएगा।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर यह कचरा जलाने का काम शुरू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य वर्षों से पड़े जहरीले कचरे का सुरक्षित निस्तारण करना है।
