ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल समूह, जो मध्यप्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है, में एक शर्मनाक घटना सामने आई है। मुरैना के 19 वर्षीय कृष्णा श्रीवास की सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई। इसके बाद उनके परिजनों से शव सौंपने से पहले कफन के लिए 500 रुपये की मांग की गई। परिजनों का आरोप है कि पैसे जमा करने के बाद ही उन्हें शव दिया गया।
कृष्णा को 30 अगस्त को गंभीर चोटों के साथ अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किया गया था, लेकिन लापरवाही भरे इलाज के कारण उनकी जान चली गई। मृतक के मामा पवन सेन, जो भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के संभागीय मीडिया प्रभारी हैं, ने बताया कि कृष्णा के पैर में फ्रैक्चर था, लेकिन प्लास्टर चढ़ाने में दो दिन लग गए। ट्रॉमा सेंटर में सीनियर डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण जूनियर डॉक्टरों पर जिम्मेदारी थी, जो न तो अनुभवी थे और न ही त्वरित निर्णय ले सके।
परिजनों ने बताया कि पोस्टमार्टम हाउस में कर्मचारियों ने 500 रुपये की मांग की और अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुधीर सक्सेना को सूचित करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूरी में परिवार को पैसे देने पड़े। इस मामले में जेएएच के सहायक अधीक्षक डॉ. वीरेंद्र वर्मा ने कहा कि कफन के लिए पैसे मांगना पूरी तरह गलत है। प्रारंभिक जांच के बाद एक आउटसोर्स कर्मचारी को हटा दिया गया है और ट्रॉमा सेंटर में सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी रोस्टर की जांच की जा रही है।
पवन सेन ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से सोशल मीडिया पर इस अमानवीय व्यवहार और सरकारी अस्पतालों में लापरवाही की शिकायत की, जिसमें उन्होंने ट्रॉमा सेंटर की बदहाल स्थिति पर ध्यान देने की मांग की।